03 अगस्त 2024 का पंचांग तथा शनिवार का महात्म्य

Aug 2, 2024 - 22:50
Aug 2, 2024 - 23:03
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03 अगस्त 2024 का पंचांग तथा शनिवार का महात्म्य

                          आज का पंचांग 

आज शनिवार है। श्री शुभ संवत् 2081 के श्रावण कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि। शक संवत् 1946 के राष्ट्रीय श्रावण मास की 12वीं तिथि, तदनुसार दिनांक 03 अगस्त सन् 2024 ई०।

 आज सूर्योदय प्रातः 05 बजकर 25 मिनट पर तथा सूर्यास्त सायं 06 बजकर 35 मिनट पर होगा।

वर्षा ऋतु है।

दिनमान 32 घटी 54 पल तथा रात्रि मान 27 घटी 06 पल।

 चतुर्दशी तिथि का मान दिन में 03 बजकर 22 मिनट तक तदुपरांत अमावस्या तिथि। राहु काल प्रातः 09:00 बजे से 10:30 बजे तक है। राहु काल में यात्रा एवं शुभकार्य का आरंभ नहीं करना चाहिए। शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो उड़द या पान खाकर यात्रा की जा सकती है। यात्रा का आशय आपके नियमित कार्य से नहीं होता। दिन में 12 बजकर 43 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र है इसके अनंतर पुष्य नक्षत्र आरंभ हो जाएगा। दिन में 12 बजकर 40 मिनट तक वज्र योग है। आज रिक्ता तिथि के कारण कोई मुहूर्त नहीं है। श्लेषा नक्षत्र का सूर्य आज दिन में 10 बजकर 59 मिनट से प्रविष्ट हो रहा है अतः सामान्य से भारी वर्षा के योग हैं।कल अमावस्या है। इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

                       शनिवार का महात्म्य 

न्याय के देवता हैं शनिदेव। शनिवार के दिन शनिदेव की पूरे अनुष्ठान से पूजा की जाती है और साथ ही इस दिन व्रत भी किया जाता है. शनिवार के दिन शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने का विधान है।

कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।

सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।। 

शनिदेव के दस नाम - कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद व पिप्पलाद के नाम का स्मरण करने मात्र से ही शनि दोषों से मुक्ति मिल जाती है। 

    शनि को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप करना, घास पर नंगे पैर चलना, कर्म योग का अभ्यास करना, दान-पुण्य करना, यज्ञ करना, तिल/सरसों के तेल से दीपक जलाना, भगवान कालभैरव की पूजा करना, नशीले पदार्थों से दूर रहना, शनिवार को भगवान हनुमान की पूजा करना और पीपल के पेड़ की पूजा करना चाहिए। 

अगर शनि देव आपसे नाराज है और आप पर उनकी कुदृष्टि है तो ऐसे लोगों के जोड़ों में हमेशा दर्द रहता है। उन्हें चलने और उठने-बैठने में दिक्कत होती है।

 जिन लोगों की कुंडली में शनि का अशुभ समय चल रहा होता है, वे लोग आलसी हो जाते हैं। इनका मन किसी काम में नहीं लगता है।इस समय कुंभ, मकर व मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती और कर्क, वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनि के राशि परिवर्तन करने से मकर राशि से शनि की साढ़ेसाती हट जाएगी और वृश्चिक, कर्क राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी।

अगर हमने किसी भी रूप में कर्म, विचार या व्यवहार से कोई भी बुरा काम किया है, तो इसके लिए न्याय के देवता शनि का ध्यान करके उनके विशेष मंत्र का उच्चारण करके क्षमा मांगना चाहिए। अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया। दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।

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