श्री मज्जयाचार्य जी का 144 वां प्रयाण दिवस

Aug 30, 2024 - 21:10
Aug 30, 2024 - 21:13
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श्री मज्जयाचार्य जी का 144 वां प्रयाण दिवस

तेरापंथ के गणमाली , महानता के आसन पर आसीन , विनय शिरोमणी , भव्य आत्माओ के भीतर संयम का दीप जलाने वाले , अध्यात्म तत्व वेता , समत्व योग के मूर्तिमान आदर्श श्री मज्जयाचार्य जी के चरणो में मेरा शत्-शत् वन्दन ! आज के इस 

अवसर पर मेरे भाव - 

मन में क्यों न विचार करे ?

उथले श्रद्धा जल में कैसे तरे ?

अपने मन को संभाले ।

भव - जल से पार करे ।

जीवन है बहुमूल्य सबेरा ,

क्यों इसमें भरे अंधेरा ?

चैतन्य की लौ जला ले ।

जीवन में प्रकाश भर ले ।

जीवन में रात घिर रही ,

अंधकार के रहे कैसे भरोसे ,

निशा अंधेरी भागे ।

सद्भावना का सागर लहराएं ।

घर छूटा साथी भी बिछुड़े ,

साँसो के सारे सपने टूटे ,

आत्मानुभूति जागे ।

मिट जाएं सारे विचार मैले ।

गतिशील चरण सन्मार्ग पर टिके ,

सत्य मार्ग से विचार न डिगे ,

उत्साह सदैव बढ़ता जाए ।

विपत्तियों के अस्तित्व मिटाए ।

विश्वास के गहरे जल में ,

ले अब हम हमारी नौका ,

आसक्ति से अनाहत हो ।

लग जाए नाव भव - सिन्धु किनारे । 

 प्रदीप छाजेड़ 

( बोरावड़)

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