वृक्षों को कहां लगाएं और कहां न लगाएं;एक प्रामाणिक वर्णन

Jul 10, 2025 - 11:58
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वृक्षों को कहां लगाएं और कहां न लगाएं;एक प्रामाणिक वर्णन

 अवश्य पढ़ें!!

#प्रमाण—

1 बदरी कदली चैव दाडिमी बीजपूरिका।

प्ररोहन्ति गृहे यत्र तद्गृहं न प्ररोहति॥

(#समरांगणसूत्रधार-38/131)

#अर्थ— बेर, केला, अनार तथा नींबू जिस घरमें उगते हैं, उस घरकी वृद्धि नहीं होती।

*2 अश्वत्थं च कदम्बं च कदलीबीजपूरकम्।

*गृहे यस्य प्ररोहन्ति स गृही न प्ररोहति॥

      (#बृहद्दैवज्ञ० 87/9)

*#अर्थ—* पीपल, कदम्ब, केला, बीजू नींबू-ये जिस घरमें होते हैं, उसमें रहनेवालेकी वंशवृद्धि नहीं होती।

*3 मालतीं मल्लिकां मोचां चिञ्चां श्वेतां पराजिताम्।

*वास्तुन्यां रोपयेद्यस्तु स शस्त्रेण निहन्यते॥

(#वास्तुसौख्यम्- 39)

*#अर्थ—* मालती, मल्लिका, मोचा (केला/कपास), इमली, श्वेता (विष्णुक्रान्ता) और अपराजिताको जो वास्तुभूमिपर लगाता है, वह शस्त्रसे मारा जाता है।

*#तुलसी—* घरके भीतर लगायी हुई तुलसी मनुष्यों के लिये कल्याणकारिणी, धन-पुत्र प्रदान करनेवाली, पुण्यदायिनी तथा हरिभक्ति देनेवाली होती है। 

प्रात:काल तुलसीका दर्शन करनेसे सुवर्ण-दानका फल प्राप्त होता है।

(#ब्रह्मवैवर्तपुराण,कृष्ण०-103/62)

अपने घरसे दक्षिणकी ओर तुलसीवृक्षका रोपण नहीं करना चाहिये, अन्यथा यम-यातना भोगनी पड़ती है।    

         (#भविष्यपुराण म० 1)

*#गृह_समीपमें_निषिद्ध_वृक्ष—

घरके पास काँटेवाले, दूधवाले तथा फलवाले वृक्ष स्त्री

और सन्तानकी हानि करनेवाले हैं। 

यदि इन्हें काटा न जा सके

तो इनके पास शुभ वृक्ष लगा दें।

काँटेवाले वृक्ष शत्रुसे भय देनेवाले

दूधवाले वृक्ष धनका नाश करनेवाले और 

फलवाले वृक्ष सन्तानका नाश करनेवाले होते हैं। 

इनकी लकड़ीको भी घरमें नहीं लगानी चाहिये—

*आसन्ना: कण्टकिनो रिपुभयदाः क्षीरिणोऽर्थनाशाय।

*फलिनः प्रजाक्षयकरा दारूण्यपि वर्जयेदेषाम् ।।

         (#बृहत्संहिता-53/86)

पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेरा, पीपल, अगस्त्य, बेर, निर्गुंडी, इमली, कदंब, केला, नींबू, अनार, खजूर, बेल आदि वृक्ष घरके पास अशुभ हैं।

*#गृहसमीपस्थ_शुभवृक्ष—

अशोक, पुन्नाग, मौलसिरी, शमी, चंपा, अर्जुन, कटहल, केतकी, चमेली, पाटल, नारियल, नागकेसर, अड़हुल, महुआ, वट, सेमल, बकुल, शाल, आदि वृक्ष घरके पास शुभ हैं।

*#घरसे_दिशा_विशेषमें_वृक्षोंके_शुभाशुभ_फल—*

*#पूर्वमें—* पीपल भय तथा निर्धनता देता है ,

परंतु बरगद कामना पूर्ति करता है।

*#आग्नेयमें—* वट, पीपल, सेमल, पाकर तथा गूलर पीड़ा और मृत्यु देने वाले हैं।

 परंतु अनार शुभम् है ।

*#दक्षिणमें—* पाकर रोग तथा पराजय देने वाला है और आम, कैद, अगस्त्य तथा निर्गुंडी धन नाश करने वाले हैं।

 परंतु गूलर शुभ है।

 *#नैर्ऋत्यमें—* इमली शुभ है।

*#दक्षिण_नैर्ऋत्यमें—* जामुन और कदम्ब शुभ हैं।

*#पश्चिममें—* वट होनेसे राजपीड़ा, स्त्रीनाश व कुलनाश होता है, और आम, कैथ, अगस्त्य तथा निर्गुंडी धननाशक हैं। 

परंतु पीपल शुभ दायक है।

 *#वायव्यमें—* बेल शुभदायक है।

*#उत्तरमें—* गूलर नेत्ररोग तथा ह्रास करने वाला है ।

परंतु पाकर शुभ है।

#ईशानमें— आँवला शुभदायक है।

#ईशान_पूर्वमें— कटहल एवं आम शुभदायक हैं।

*#गृहवाटिका_का_विचार—*

जो घरसे पूर्व, उत्तर, पश्चिम या

ईशान दिशामें वाटिका बनाता है, वह सदा गायत्रीसे युक्त, दान देनेवाला और यज्ञ करनेवाला होता है। 

परन्तु जो आग्नेय, दक्षिण,

नैर्ऋत्य या वायव्यमें वाटिका बनाता है, उसे धन और पुत्रकी हानि तथा परलोकमें अपकीर्ति प्राप्त होती है। 

वह मृत्युको प्राप्त होता है। वह जातिभ्रष्ट व दुराचारी होता है।

यदि घरके समीप अशुभ वृक्ष लगे हों तो अशुभ वृक्ष और घरके बीचमें शुभफल देनेवाले वृक्ष लगा देने चाहिये। 

यदि पीपलका वृक्ष घरके पास

हो तो उसकी सेवा-पूजा करते रहना चाहिये।

दिनके दूसरे और तीसरे पहर यदि किसी वृक्ष, मन्दिर

आदिकी छाया मकानपर पड़े तो वह सदा दुःख व रोग देनेवाली होती है।

घरकी जितनी ऊंचाई है उससे कुछ ज्यादा दूरीपर कोई निषिद्ध वृक्ष खड़ा है तो कोई दोष नहीं होता।

जय श्री हरि।। जय विश्वनाथ।।

 द्वारा: आचार्य डॉ0 धीरेन्द्र मनीषी। निदेशक: काशिका ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र, पड़ाव, वाराणसी। प्राध्यापक: हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, वाराणसी। मो0: 9450209581/ 8840966024

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