डिसीजन मेकिंग में स्त्रियों की भूमिका जरूरी: प्रोफेसर पूनम टंडन
मिशन शक्ति फेज -5
दिनांक 29/10/2024
हिन्द भास्कर, गोरखपुर।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में मिशन शक्ति फेस - 5 के तहत एकदिवसीय जागरूकता समारोह आयोजित किया गया. यह कार्यक्रम 'हिंदी साहित्य और पत्रकारिता में स्त्री की भूमिका: समकालीन परिदृश्य और संभावनाएं' विषय पर संपन्न हुआ. इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में निश्चित रूप से स्त्रियां विकास के ऊंचे पायदान को स्पर्श कर रही हैं. पुरुषों के साथ कदमताल कर रही हैं. तेजी से आगे बढ़ रही हैं. दुनिया में उनकी धमक महसूस की जा सकती है. इसके बावजूद कुछ है जिसे अभी बदलना बाकी है. इसीलिए मिशन शक्ति जैसी कार्यक्रमों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. मौजूदा समय में जब टॉपर्स की लाइन में 70 से 80% लड़कियां नजर आ रही हैं. तो नौकरियों या विविध संदर्भों के प्रतिनिधित्व में वह 50% से भी कम क्यों रह जाती हैं!
उन्होंने कहा कि आज के समय में दरअसल जरूरत है डिसीजन मेकिंग में स्त्रियों की भूमिका का सुनिश्चित होना. स्त्री और पुरुष दोनों बराबर हैं. जरूरत है समाज की गैर बराबरी वाली मानसिकता में परिवर्तन का होना.
उन्होंने कहा कि स्त्री व पुरुष दोनों ही दोहरी भूमिका में होते हैं. दायित्वों का निर्माण करने के साथ-साथ घर भी संभालती है तो पुरुष भी रोजगार के साथ परिवार व समाज की तमाम जिम्मेदारियां का निर्वहन करता है. विचारणीय बात यह है कि इन दोहरी भूमिका में होने के बावजूद अंततः अधिकांशत स्त्रियों को ही सैक्रिफिस क्यों करना पड़ता है? स्त्रियों की सशक्तिकरण से ज्यादा जरूरी लैंगिक समानता का होना है.
कला संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर राजवंत राव ने कहा कि मिशन शक्ति अभी अपने क्षितिज पर है मध्यान्ह होने दीजिए स्त्रियों की शक्ति का अंदाजा बखूबी हो जाएगा. याज्ञवल्क्य की दो पत्नियों मैत्रेई और गार्गी का उदाहरण दिया उन्होंने कहा कि जब या केवल कितने अपनी संपत्ति का बंटवारा किया तो उनकी पत्नी मैत्री ने कहा कि मुझे इससे क्या मिलेगा मैं यह संपत्ति लेकर क्या करूंगी मुझे तो जो चाहिए मुझे तो वह चाहिए जिससे मुझे मुक्ति प्राप्त हो सके. संपत्ति से मुक्ति नहीं मिल सकती. उन्होंने कहा कि जो संपत्ति हमारे जीवन में शुभता नहीं ला सकती है, वह मूल्यहीन है.
उन्होंने थेरी गाथाओं का उल्लेख किया. उन्होंने स्त्रियों के संदर्भ में कहा की महत्वाकांक्षा पालो, उसे परवान चढ़ने दो, लेकिन विवेक के साथ.
मिशन शक्ति फेज 5 की नोडल अधिकारी प्रोफेसर विनीता पाठक ने कहा कि हमें स्त्री सशक्तिकरण की दिशा में बहुआयामी प्रयास करने होंगे. स्त्री किसी से क्षमता में कम नहीं. स्त्री को कमतर समझने वाली दृष्टि को हमें उखाड़ फेंकना होगा. स्त्री उदारता के साथ-साथ बौद्धिकता और शक्ति का भी परिचायक है. स्त्री दृष्टि से इस दुनिया मानवता को स्थापित करना ज्यादा आसान है. स्त्री शक्तिशाली है किंतु हिंसक नहीं. वह सदैव सृजन की दृष्टि को महत्व देती है.
समारोह में वक्ता के रूप में हिंदी विभाग की डॉक्टर प्रियंका नायक एवं नरगिस बानो ने महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया. उन्होंने क्रमशः हिंदी साहित्य में स्त्री व मीडिया में स्त्री की उपस्थिति एवं स्थिति को रेखांकित किया.
विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त ने स्वागत वक्तव्य दिया. संचालन डॉक्टर अभिषेक शुक्ल ने किया. डॉ रितु सागर ने आभार ज्ञापन किया. इस समारोह के दौरान अधिष्ठाता, छात्र कल्याण प्रोफेसर अनुभूति दुबे, प्रोफेसर अनिल कुमार राय, प्रोफ़ेसर दीपक प्रकाश त्यागी, प्रोफेसर विमलेश कुमार मिश्र, प्रोफेसर राजेश मल्ल, प्रोफेसर प्रत्यूष दुबे, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ. फरोजा, डॉ. नरेंद्र कुमार, डॉ. रामनरेश राम, डॉ संदीप यादव, डॉ अखिल कुमार मिश्र,डॉ सुनील कुमार, डॉक्टर रजनीश चतुर्वेदी, डॉ आयुष सेंगर, डॉ अभय शुक्ल, डॉ अन्वेषण सिंह आदि उपस्थित रहे. परास्नातक एवं स्नातक के विद्यार्थियों की उपस्थिति ने समारोह को सार्थकता प्रदान की.
What's Your Reaction?