महिलाओं को सशक्त बनने के लिए बदलनी होगी अपनी मानसिकता: प्रो. पूनम टंडन

Dec 4, 2024 - 17:41
Dec 4, 2024 - 17:49
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महिलाओं को सशक्त बनने के लिए बदलनी होगी अपनी मानसिकता: प्रो. पूनम टंडन

 "भारतीय स्त्री: अतीत एवं वर्तमान के संदर्भ में" विषय पर  हुआ गोष्ठी का आयोजन

गोरखपुर, 4 दिसंबर 2024:

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की महिला विकास एवं कल्याण संस्था (GUWWA) ने मिशन शक्ति फेस-5 के तहत "भारतीय स्त्री: अतीत एवं वर्तमान के संदर्भ में" विषयक गोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं के सशक्तिकरण, उनकी सामाजिक स्थिति और उनके ऐतिहासिक योगदान पर चर्चा करना था।

गोष्ठी की शुरुआत गुवा की अध्यक्ष प्रो नंदिता सिंह ने स्वागत भाषण से की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में प्रगति हो रही है, लेकिन महिलाओं के प्रति समाज में व्याप्त धारणा और व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता अभी भी बनी हुई है। गुवा सचिव प्रोफेसर सुनीता मुर्मू ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए इस विषय पर चर्चा की महत्ता को रेखांकित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं को सशक्त बनने के लिए अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम उठाने होंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समाज के पुरुषों और महिलाओं दोनों को मिलकर प्रयास करना होगा।

गोष्ठी की मुख्य वक्ता एवं गुवा की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विमला दुबे ने अपने विचार रखते हुए कहा कि नारी मानव हित में काम करने वाली शक्ति है। उन्होंने कहा कि अतीत और वर्तमान के संघर्षों में एक साझा विषय रहा है—महिला को उसके नाम से पहचान मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्राचीन काल में महिलाओं को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त था, लेकिन आज भी उन्हें समान अवसरों की आवश्यकता है।

अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर राजवंत राव ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्त्रियों ने इतिहास से लेकर वर्तमान तक कई अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। उन्होंने "थेरी गाथाओं" का उदाहरण दिया, जिसमें स्त्रियों ने अपनी स्वतंत्रता की मांग की और समाज में अपनी योग्यता और कुशलता का प्रदर्शन किया।

मिशन शक्ति की प्रतिनिधि विनीता पाठक ने अपने संबोधन में कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल महिलाओं के विकास के लिए नहीं है, बल्कि पुरुषों के व्यक्तित्व निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

विशेष प्रस्तुति और पुरस्कार

गोष्ठी के दौरान बीएससी की छात्रा सृष्टि जायसवाल ने अपनी कविता का पाठ किया, जिसने कार्यक्रम में एक साहित्यिक रंग जोड़ा। साथ ही, फाइन आर्ट्स के छात्रों अमृता सिंह, रोहित प्रजापति, और अंजलि मिश्रा को उनके पोस्टर निर्माण के लिए सम्मानित किया गया। रंगोली प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्राओं कविता प्रजापति, अर्चिता, अंजीता, कीर्ति, किरण, शालिनी और संजीता को भी पुरस्कृत किया गया।

इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, शिक्षकगण और विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही। प्रमुख शिक्षकों में प्रो. उमा श्रीवास्तव, प्रो. संगीता पांडेय, डॉ. सुनैना गौतम, डॉ. अरुंधति सिंह, और प्रो. सुधा यादव शामिल रहीं।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुसुम रावत ने किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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