नौगढ़ में अवैध खनन का पर्दाफाश

May 18, 2025 - 18:58
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नौगढ़ में अवैध खनन का पर्दाफाश

भूमि से सैकड़ों ट्रॉली मिट्टी की खुदाई, प्रशासन में हड़कंप

विनोद कुमार यादव

हिन्द भास्कर

चंदौली/नौगढ़

तहसील नौगढ़ के शमशेरपुर गांव में भूमि से बड़े पैमाने पर मिट्टी की अवैध खुदाई का मामला उजागर हुआ है। सैकड़ों ट्रॉली मिट्टी जेसीबी मशीनों के ज़रिए निकाली गई, जिससे शासन की भूमि संरक्षण नीति पर सीधा प्रहार हुआ है। हैरान करने वाली बात यह है कि यह सबकुछ कथित तौर पर हल्का लेखपाल की मिलीभगत से किया गया, जिससे प्रशासन की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

खनन माफिया सक्रिय, प्रशासन था बेखबर?

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, लंबे समय से क्षेत्र में जेसीबी मशीनें चल रही थीं और मिट्टी की ट्रॉलियाँ खुलेआम इधर-उधर बिक रही थीं। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे रहे। जब स्थिति ने गंभीर रूप लिया, तब जाकर मामले की शिकायत उपजिलाधिकारी (एसडीएम) आलोक कुमार तक पहुंची।

मौके पर पहुंचकर एसडीएम की कार्रवाई

शिकायत मिलते ही एसडीएम आलोक कुमार ने बिना देरी किए खुद मौके पर पहुंचकर अवैध खनन को रुकवाया और खुदाई कर रही जेसीबी और एक ट्रैक्टर-ट्रॉली को ज़ब्त कर सीज कर दिया गया, जबकि दो ट्रॉली मौके से भागने में सफल रहीं।

प्रशासन पर उठे सवाल, जांच में कई चेहरे हो सकते हैं बेनकाब

यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण बनकर सामने आई है। सवाल यह है कि क्या संबंधित अधिकारियों को इस खनन की जानकारी नहीं थी या उन्होंने जानबूझकर आंखें मूंद ली थीं? जांच में अगर विभागीय मिलीभगत की पुष्टि होती है, तो कई जिम्मेदार चेहरों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।

एसडीएम का आश्वासन: दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा

एसडीएम आलोक कुमार ने स्पष्ट किया, “मामले की जांच तेज़ी से की जा रही है। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अवैध खनन को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह कोई भी हो।”

उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई कर्मचारी या अधिकारी इस गतिविधि में संलिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्राकृतिक संपदा की लूट, सिस्टम की चूक

यह मामला केवल अवैध खनन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे सरकारी ज़मीनों पर खनन माफिया का कब्ज़ा होता जा रहा है और जिम्मेदार विभाग मूकदर्शक बनकर सब कुछ देख रहे हैं।

अब देखना यह होगा कि जांच निष्पक्ष होती है या फिर यह मामला भी कागज़ी खानापूर्ति तक सीमित रह जाता है।

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