माघ मेला 2026: इस बार माघ मेले में पहली बार स्कैन टू फिक्स तकनीकी का होगा इस्तेमाल

माघ मेला 2026: इस बार माघ मेले में पहली बार स्कैन टू फिक्स तकनीकी का होगा इस्तेमाल

Dec 18, 2025 - 12:09
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माघ मेला 2026: इस बार माघ मेले में पहली बार स्कैन टू फिक्स तकनीकी का होगा इस्तेमाल
  • स्कैन टू फिक्स तकनीकी के तहत बिजली के पोल्स पर लगेंगे 15 हजार बार कोड
  • सोलर हाइब्रिड प्रकाश व्यवस्था से 24x7 रोशन रहेंगे संगम के सभी स्नान घाट और चौराहे
  • 500 सोलर लाइट और 25 हजार एलईडी लाइट्स से जगमग होगा मेले का कोना-कोना

प्रयागराज(हिन्द भास्कर):- 3 जनवरी से त्रिवेणी के तट पर 44 दिनों तक लगातार चलने वाले माघ मेले आयोजन होने जा है। हिंदू धर्म मान्यता के अनुसार माघ के महीने में संगम नगरी में स्नान करने से मन और कर्म की शुद्धता हो जाती है। माघ मेले 3 जनवरी को शुरू होगा और इस का समापन 15 फरवरी को होगा।

आस्था के जन समागम माघ मेले के लिए युद्ध स्तर पर बिजली विभाग ने तैयार पूरी कर ली है। आप को बता दे बिजली विभाग 800 हेक्टेयर में फैले इस माघ मेले में निर्बाध विद्युत आपूर्ति करने की अपनी तैयारी में लगा है। इसके लिए इस बार विभाग ने कई नव्य प्रयोग किए हैं। माघ मेला में बिजली व्यवस्था के लिए 32 करोड़ का बजट रखा गया है जो पिछले माघ मेले से 10 फीसदी अधिक है।

वही बिजली विभाग के अधिशाषी अभियंता ( माघ मेला ) अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि माघ मेले में इस बार 350 किमी लंबी एलटी की लाइन बिछनी थी जिसमें 320 किमी बिछ चुकी है। 47 किमी एचटी लाइन और साथ ही 25 बड़े और 35 छोटे सब स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें तीन-लेयर पावर बैकअप सिस्टम होगा। मेले में 7.5 लाख विद्युत कनेक्शन देने के साथ 24 x 7 बिजली मिलती रहे इसके लिए नए प्रयास किए गए हैं।

माघ मेले में विद्युत आपूर्ति से जुड़ी हर समस्या के त्वरित समाधान के लिए पहली बार स्कैन टू फिक्स तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिस के अंतर्गत विद्युत विभाग ने माघ मेले में पहली बार हाईटेक ‘बारकोड सिस्टम’ लागू किया है, जिससे बिजली से जुड़ी हर समस्या का तुरंत समाधान किया जा सकेगा।

अशोक कुमार शर्मा आगे बताया कि मेला क्षेत्र में लगाए गए हर खंभे, लाइन और कनेक्शन पर विशेष बारकोड लगाए जाएंगे, जिन्हें स्कैन करते ही बिजली कर्मचारी सीधे कंट्रोल रूम से समस्या की जानकारी हासिल कर लेंगे और रिकॉर्ड समय में समाधान करेंगे। इसका एक लाभ यह भी है कि श्रद्धालु अपनी लोकेशन पहचान सकेंगे और रास्ता भटकने की स्थिति में परिवार या गंतव्य तक आसानी से पहुंच पाएंगे। मेला की अन्य व्यवस्थाओं के लिए भी यह व्यवस्था कारगर होगी।

क्यूआर कोड स्कैन कर गूगल फार्म भरने से मिली जानकारी से बिजली संबंधी शिकायतों के साथ-साथ पानी की कमी या टूटी सड़कों जैसी समस्याएं भी दर्ज करा सकेंगे। मेला क्षेत्र में 15 हजार से अधिक ऐसे बार कोड लगाए गए हैं। बिजली गुल होने से बचने के लिए 5 रिंग मेन यूनिट लगाई जा रही है जो पिछले मेले में 1 थी इससे 10 सेकंड में गुल बत्ती आ जाएगी।

पूरे माघ मेला क्षेत्र में 25 हजार से अधिक एलईडी लाइट्स लगाई जा रही हैं ताकि माघ मेला का हर कोना रोशन होता रहे। इसके अलावा संगम के घाट और प्रमुख चौराहों को हाईब्रिड सोलर लाइट लगाई जाएंगी जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। आपात स्थिति के लिए डीजी सेट भी रहेंगे।

पूरे माघ मेला क्षेत्र में 25 हजार से अधिक एलईडी लाइट्स लगाई जा रही हैं ताकि माघ मेला का हर कोना रोशन होता रहे। इसके अलावा संगम के घाट और प्रमुख चौराहों को हाईब्रिड सोलर लाइट लगाई जाएंगी जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। आपात स्थिति के लिए डीजी सेट भी रहेंगे।

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