सदियों के घाव भर रहे, वेदना विराम पा रही और संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहाः पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विवाह पंचमी पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में किया ध्वजारोहण

Nov 25, 2025 - 18:27
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सदियों के घाव भर रहे, वेदना विराम पा रही और संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहाः पीएम मोदी

अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैः प्रधानमंत्री

सदियों और सहस्रशताब्दियों तक यह धर्म ध्वज प्रभु राम के आदर्शों व सिद्धातों का उद्घोष करेगाः प्रधानमंत्री

अयोध्या, 25 नवंबरः

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या धाम में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज के आरोहण समारोह में अपने विचार रखे। पीएम मोदी ने अपनी भावनाओं का आगाज ‘सियावर रामचंद्र की जय, जय सियाराम’ से किया। उन्होंने कहा कि आज अयोध्या भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और उत्कर्ष बिंदु की साक्षी बन रही है। आज संपूर्ण भारत व विश्व राममय है। हर रामभक्त के हृदय में अद्वितीय संतोष, असीम कृतज्ञता, अपार अलौकिक आनंद है। सदियों के घाव भर रहे हैं। सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। सदियों का संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहा है। आज उस यज्ञ की पूर्णाहूति है, जिसकी अग्नि 500 वर्ष तक प्रज्ज्वलित रही। जो यज्ञ एक पल भी आस्था से डिगा नहीं, एक पल भी विश्वास से टूटा नहीं, आज भगवान श्रीराम मंदिर के गर्भगृह की अनंत ऊर्जा, श्रीराम का दिव्य प्रताप इस धर्मध्वजा के रूप में दिव्यतम, भव्यतम मंदिर में प्रतिष्ठापित हुआ है। 

धर्मध्वज भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह धर्मध्वज केवल ध्वज नहीं, यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। इसका भगवा रंग इस पर रचित सूर्यवंश की ख्याति, वर्णित ओम शब्द व अंकित कोविदार वृक्ष रामराज्य की कीर्ति को प्रतिरूपित करता है। यह ध्वज संकल्प, सफलता और संघर्ष से सृजन की गाथा है। यह ध्वज सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार स्वरूप है। यह ध्वज संतों की साधना और समाज की सहभागिता की सार्थक परिणीति है। सदियों और सहस्रशताब्दियों तक यह धर्म ध्वज प्रभु राम के आदर्शों व सिद्धातों का उद्घोष करेगा। यह धर्मध्वज आह्वान करेगा कि जीत सत्य की ही होती है, असत्य की नहीं। धर्मध्वज उद्घोष करेगा कि सत्य ही ब्रह्म का स्वरूप है, सत्य में ही धर्म स्थापित है। यह धर्मध्वज प्रेरणा बनेगा ‘प्राण जाय पर वचन न जाई’ अर्थात जो कहा जाए, वही किया जाए। यह धर्मध्वज संदेश देगा कि ‘कर्म प्रधान विश्व रचि राखा’ अर्थात विश्व में कर्म व कर्तव्य की प्रधानता हो। धर्मध्वज कामना करेगा कि भेदभाव, पीड़ा-परेशानी से मुक्ति मिले और समाज में शांति व सुख हो।

मंदिर के ध्येय का प्रतीक है धर्म ध्वज

प्रधानमंत्री ने कहा कि धर्मध्वज संकल्पित करेगा कि हम ऐसा समाज बनाएं, जहां गरीबी, दुख या लाचारी न हो। हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि जो लोग किसी कारण मंदिर नहीं आ पाते और दूर से ध्वज को प्रणाम कर लेते हैं, उन्हें भी उतना ही पुण्य मिल जाता है। धर्म ध्वज भी मंदिर के ध्येय का प्रतीक है। य़ह ध्वज दूर से ही रामलला की जन्मभूमि के दर्शन कराएगा और युगों-युगों तक प्रभु श्रीराम के आदेशों व प्रेरणाओं को मानव तक पहुंचाएगा। पीएम मोदी ने करोड़ों रामभक्तों के साथ ही राम मंदिर निर्माण के लिए सहयोग देने वाले दानवीरों, श्रमवीरों, योजनाकारों, वास्तुकारों का आभार जताया। 

अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं

प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। यही वह नगरी है, जहां से श्रीराम ने जीवनपथ शुरू किया था। इसी अयोध्या ने संसार को बताया कि एक व्यक्ति कैसे समाज की शक्ति व संस्कारों से पुरुषोत्तम बनता है। जब श्रीराम अयोध्या से वनवास गए तो वे युवराज राम थे, लेकिन जब लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर आए। उनके मर्यादा पुरुषोत्तम बनने में महर्षि वशिष्ठ का ज्ञान, महर्षि विश्वामित्र की दीक्षा, महर्षि अगस्त्य का मार्गदर्शन, निषादराज की मित्रता, मां शबरी की ममता, भक्त हनुमान के समर्पण के साथ ही अनगिनत लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 

भारत के सामूहिक सामर्थ्य की चेतना स्थली बन रहा है राम मंदिर का दिव्य प्रांगण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए समाज की सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है। राम मंदिर का दिव्य प्रांगण भारत के सामूहिक सामर्थ्य की चेतना स्थली बन रहा है। यहां सप्त मंदिर, मां शबरी, निषादराज गुह्य का भी मंदिर है। यहां एक ही स्थान पर मां अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य और संत तुलसीदास हैं। रामलला के साथ-साथ इन ऋषियों के भी दर्शन यहीं होते हैं। जटायु व गिलहरी की मूर्ति भी बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती है। 

राम भेद से नहीं, भाव से जुड़ते हैं

पीएम मोदी ने कहा कि यह मंदिर आस्था के साथ मित्रता, कर्तव्य व सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को शक्ति देते हैं। हमारे राम भेद से नहीं, भाव से जुड़ते हैं। उनके लिए व्यक्ति का कुल नहीं, भक्ति महत्वपूर्ण है। उन्हें मोक्ष नहीं, मूल्य प्रिय है। उन्हें शक्ति नहीं, सहयोग महान लगता है। आज हम भी इसी भावना से आगे बढ़ रहे हैं। 11 वर्षों में महिला, दलित, पिछड़े, अतिपिछड़े, आदिवासी, वंचित, किसान, श्रमिक, युवा हर वर्ग को विकास के केंद्र में रखा गया है। जब देश का हर व्यक्ति, वर्ग, क्षेत्र सशक्त होगा, तब संकल्प की सिद्धि में सबका प्रयास लगेगा। 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, तब सबके प्रयास से ही हमें विकसित भारत का निर्माण करना होगा। 

हमें आने वाले दशकों व सदियों को ध्यान में रखकर कार्य करना होगा

पीएम मोदी ने कहा कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर राम से राष्ट्र के संकल्प की चर्चा करते हुए मैंने कहा था कि आने वाले एक हजार वर्षों के लिए भारत की नींव मजबूत करनी है। जो सिर्फ वर्तमान की सोचते हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय करते हैं। हमें वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के बारे में सोचना है। जब हम नहीं थे, यह देश तब भी था, जब हम नहीं रहेंगे, यह देश तब भी रहेगा। हमें दूरदृष्टि के साथ ही काम करना होगा। हमें आने वाले दशकों, सदियों को ध्यान में रखना ही होगा। 

हमें प्रभु राम के व्यवहार को करना होगा आत्मसात  

पीएम मोदी ने कहा कि हमें प्रभु राम और उनके व्यक्तित्व को सीखना होगा। उनके व्यवहार को आत्मसात करना होगा। राम यानी आदर्श, राम यानी मर्यादा, राम यानी जीवन का सर्वोच्च चरित्र, राम यानी सत्य-पराक्रम का संगम। राम यानी धर्मपथ पर चलने वाला व्यक्तित्व, राम यानी जनता के सुख को सर्वोपरि रखना, राम यानी धर्म और क्षमा का दरिया, राम यानी ज्ञान व विवेक की पराकाष्ठा, राम यानी कोमलता में दृढ़ता, राम यानी कृतज्ञता का सर्वोच्च उदाहरण, राम यानी श्रेष्ठ संगति का चयन, राम यानी विनम्रता में महाबल, राम यानी सत्य का अडिग संकल्प, राम यानी जागरूक, अनुशासित और निष्कपट मन। राम सिर्फ व्यक्ति नहीं, राम मूल्य हैं, मर्यादा हैं, दिशा हैं। 

भारत को 2047 तक विकसित व समाज को सामर्थ्यवान बनाना है तो अपने भीतर राम को जगाना है।

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