इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज होने जा रही भगवान श्री राम की नगरी
इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज होने जा रही भगवान श्री राम की नगरी
- 161 फीट ऊंचे शिखर पर लहराएगा ‘रघुवंश प्रतीकों’ से अंकित 22 फीट लंबा भगवा ध्वज
- देशभर के 108 आचार्यों द्वारा 21 से 25 नवंबर तक होगा वैदिक अनुष्ठान, गूंजेगा श्रीराम नाम
- योगी सरकार की उपलब्धियों का प्रतीक बनेगा ध्वजारोहण समारोह, अयोध्या का होगा वैश्विक परिचय
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएम को दिया निमंत्रण, कहा ‘अयोध्या ने नए युग में किया प्रवेश’
अयोध्या(हिन्द भास्कर):- एक बार फिर भगवान श्री राम की रामनगरी इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अपना नाम दर्ज करने जा रही है। 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 161 फीट ऊंचे कुल सात मंदिरों के शिखरों पर भगवा धर्म ध्वज फहराएंगे। इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित हजारों गणमान्य जन व श्रद्धालु मौजूद रहेंगे।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देवगिरी महाराज ने बताया कि 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा भगवा ध्वज वाल्मीकि रामायण में वर्णित रघुवंश के प्रतीकों सूर्य, ॐ और कोविदार वृक्ष से अंकित होगा। यह ध्वज 42 फीट ऊंचे ध्वजदंड (10 फीट ढांचे में, 32 फीट बाहर) पर 360 डिग्री घूमने वाली चैंबर पर स्थापित किया जाएगा, जो 60 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा की गति को भी सहन कर सकेगा। वहीं ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने बताया कि समारोह में सात से आठ हजार श्रद्धालु शामिल होंगे, जिनमें प्रमुख संत-महंत, विभिन्न संप्रदायों के धर्माचार्य, सामाजिक कार्यकर्ता और समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने वाले लोग होंगे।
आगे उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण परंपरागत नागर शैली में हुआ है। मंदिर की लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट है। मंदिर तीन मंजिल का है और प्रत्येक की ऊंचाई 20 फीट है। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार हैं। भूतल गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बाल रूप अर्थात् श्रीराम लला का विग्रह, प्रथम तल पर श्रीरामदरबार के दर्शन हो रहे हैं। परिसर में पंचायतन के सभी मंदिरों का निर्माण पूरा कर लिया गया है।
परकोटा में भगवान सूर्य, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव के मंदिर हैं। उत्तरी भुजा पर मां अन्नपूर्णा, दक्षिणी भुजा पर हनुमान जी का मंदिर है। परिसर में निषादराज, माता शबरी, देवी अहिल्या, संत तुलसीदास, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, कुबेर टिला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ जटायु की स्थापना की गई है। गिलहरी, जिसने रामसेतु निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी, उसकी भी प्रतिमा परिसर में स्थापित की गई है, जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है।
मुख्य शिखर के अलावा शेषावतार मंदिर और परकोटा के छह देवी-देवताओं के मंदिरों (शिव, गणेश, हनुमान, सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा) पर भी ध्वजारोहण होगा। 21 से 25 नवंबर तक पांच दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान चलेगा, जिसमें रामचरितमानस पाठ, श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पारायण और वैदिक हवन शामिल होंगे। काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री के नेतृत्व में अयोध्या, काशी और दक्षिण भारत के 108 आचार्य अनुष्ठान संपन्न कराएंगे।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने रविवार को मंदिर परिसर का सूक्ष्म निरीक्षण किया और ध्वजारोहण की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने निर्माण एजेंसियों के साथ बैठक कर कार्य को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए। यह समारोह न केवल श्रीरामजन्मभूमिमंदिर निर्माण महायज्ञ की पूर्णाहुति का प्रतीक है, बल्कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की अथक मेहनत और दूरदर्शी नीतियों का जीता-जागता प्रमाण भी है।
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