सुशासन के प्रतीक थे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई

Dec 25, 2025 - 22:05
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सुशासन के प्रतीक थे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई

भाषण प्रतियोगिता में साजिया व काव्य पाठ में हिमांशु को प्रथम स्थान 

काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता विभाग में मनाया गया 'सुशासन दिवस', हुए विविध कार्यक्रम

वाराणसी। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती गुरुवार को 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाई गई। इस मौके पर 'सुशासन के प्रतीक : भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी' विषयक संगोष्ठी, भाषण प्रतियोगिता एवं एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन के प्रतीक थे। वह अजातशत्रु थे। उन्होंने सत्ता को सेवा का माध्यम समझा न कि शक्ति का स्रोत। यही कारण था कि हर विचारधारा के लोग उनका सम्मान करते थे। मुख्य अतिथि मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार मिश्र ने कहा कि वाजपेयी जी ने ऐसी व्यवस्था प्रदान की जिसमें सबका सम्मान था। अटल जी ने समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा, उनका मानना था कि किसी को साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मनुष्य से मनुष्यता का बर्ताव करना चाहिए। अटल जी के सुशासन की उपादेयता हमेशा बनी रहेगी। 

कार्यक्रम संयोजक डॉ. प्रभा शंकर मिश्र ने कहा कि अटल जी शासन व्यवस्था एक रोल मॉडल के रूप में सामने आती हैं। उनकी स्वर्णिम चतुर्भुज योजना और परमाणु परीक्षण ने देश को मजबूती प्रदान की। वह उच्च कोटि के कवि थे। उनकी कई कविताएं देश के लोगों को याद हैं। राष्ट्र के निर्माण में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। डॉ. नागेन्द्र पाठक ने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के रूप में एक अच्छे प्रशासक थे। वह विपक्ष में रहते हुए सत्ता पक्ष की आलोचना तो करते ही थे लेकिन अच्छे कार्य के लिए उनकी सराहना भी करते थे। वह अपने प्रारंभिक जीवन में पत्रकारिता से भी जुड़े थे। डॉ. गिरीश कुमार दुबे ने वाजपेयी जी के साथ के संस्मरणों को साझा किया। उनकी सुहृदयता को याद करते हुए महान नेता बताया। डॉ. मुंकेश कुमार शुक्ल ने वाजपेयी की प्रत्युत्पन्नमति और संवेदना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अटल जी ने देश की कई समस्याओं को समाप्त किया। वह युगपुरुष थे। देश को ऐसा नेता मिलना मुश्किल है। 

कार्यक्रम सह-समन्वयक डॉ. चन्द्रशील पाण्डेय ने कहा कि वाजपेयी जी अपने विचारों और व्यवहार से हमेशा युवा रहे। यही कारण था कि वह बहुत लोकप्रिय थे। उनके भाषण को लोग सुनने दूर-दूर से आते थे। डॉ. पाण्डेय ने कहा कि वाजपेयी जी का जीवन न केवल राजनीति, बल्कि साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रीयता के प्रतीक के रूप में याद किया जाना चाहिए। डॉ. खुशबू सिंह ने अटल जी के सफल प्रधान मंत्रित्व काल में उठाये गए कई महत्वपूर्ण कदमो की चर्चा की। विजय कुमार सिंह ने कहा कि अटल जी एक प्रखर वक्ता के साथ ही कवि हृदय के राजनेता थे।

इस मौके पर हुए भाषण प्रतियोगिता में एम.ए. मास कम्युनिकेशन प्रथम सेमेस्टर की साजिया खान प्रथम, बी.ए. (ऑनर्स) मास कम्युनिकेशन द्वितीय वर्ष की रिद्धि गुप्ता व मनीष विश्वकर्मा द्वितीय तथा बी.ए. (ऑनर्स) मास कम्युनिकेशन प्रथम सेमेस्टर के आशीष तिवारी तृतीय स्थान पर रहे। वहीं, एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता में बी.ए. (ऑनर्स) मास कम्युनिकेशन द्वितीय वर्ष के हिमांशु तिवारी प्रथम, बी.ए. (ऑनर्स) मास कम्युनिकेशन प्रथम सेमेस्टर की निहारिका व एम.ए. मास कम्युनिकेशन प्रथम सेमेस्टर की रिया सोनी द्वितीय तथा बी.ए. (ऑनर्स) मास कम्युनिकेशन प्रथम सेमेस्टर के फैजान अहमद तीसरे स्थान पर रहे।

संचालन कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मनोहर लाल व डॉ. खुशबू सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम सह-समन्वयक डॉ. चन्द्रशील पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर डॉ. शिव जी सिंह, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. सरिता राव, डॉ. वैष्णवी शुक्ला, भागीरथी, हर्ष, वंशिका, जूली, जाह्नवी, कोमल, अनुष्का, समीक्षा, पीयूष, गौरव, जय कृष्णा, शिवांग, श्रवण, श्रेया, दिशान, लुकमान, ज्योति, खुशी, रीमा, मुस्कान आदि उपस्थित रहे।

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