एन ई पी 2020 का स्वरूप वैश्विक, आत्मा भारतीय - प्रो० एस० पी० एम० त्रिपाठी
हमें उच्च शिक्षा के ईको सिस्टम को समझना होगा - प्रो० संजीत गुप्ता

डी. डी. यू. में एनईपी ओरिएंटेशन एवं सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम का शुभारंभ
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के केंद्र में राष्ट्रीयता– कुलपति प्रो. पूनम टंडन
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के यूजीसी–मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर (MMTTC) द्वारा आयोजित 11वें ऑनलाइन “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: ओरिएंटेशन एवं सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम” का शुभारंभ 02 सितंबर2025 को हुआ। यह कार्यक्रम 10 सितम्बर 2025 तक चलेगा।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. एस. पी. एम. त्रिपाठी, पूर्व कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक (म.प्र.) तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. संजीत कुमार गुप्ता, कुलपति, जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया (उ.प्र.) की गरिमामयी उपस्थिति रही। निदेशक प्रो चन्द्रशेखर एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि इस ओरिएंटेशन का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं को लोगों तक पहुंचाना है .
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के केंद्र में राष्ट्रीयता है। इसमें विद्यार्थियों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देने पर विशेष बल दिया गया है। अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा का अर्थ केवल यह नहीं कि हमारे विद्यार्थी विदेश जाकर पढ़ें, बल्कि विदेशी छात्र भी भारत आकर यहाँ की शिक्षा प्राप्त करें। इसी उद्देश्य से डुअल डिग्री प्रोग्राम प्रारंभ किए गए हैं तथा स्वयं प्लेटफार्म पर मूक पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को उपलब्ध कराये गए हैं
मुख्य अतिथि प्रो. एस. पी. एम. त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का स्वरूप वैश्विक है किंतु इसकी आत्मा भारतीय है। यह नीति ज्ञान को उन स्थानों तक ले जाने का प्रयत्न करती है जो अब तक अगम्य रहे हैं। यह जड़ से जागरण और पुरातन से अधुनातन तक की यात्रा का विधान प्रस्तुत करती है। हमारे यहां पुरातन काल से ही "सा विद्या या विमुक्तये " ही हमारा दर्शन रहा है। आ नो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्वस्त: हमारा ध्येय वाक्य रहा है. गुणवत्ता परक शिक्षा का अर्थ है कि हम तथ्य और तर्क दोनों का आश्रय लें. टैलेंट और टेक्नोलॉजी का समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए ।ए आई से कहीं महत्वपूर्ण है एन आई अर्थात नेचुरल इंटेलिजेंस, हमें नैसर्गिक प्रतिभा पर विश्वास करना चाहिए
विशिष्ट अतिथि प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने कहा कि हमें उच्च शिक्षा के इकोसिस्टम को गहराई से समझना होगा। शिक्षा को बहुविषयक और व्यावहारिक बनाकर ही हम युवाओं को जीवन के लिए तैयार कर सकते हैं।उन्होंने अपने उद्बोधन में सतत विकास लक्ष्यों का भी उल्लेख किया .
निदेशक प्रो . चंद्रशेखर ने स्वागत भाषण देते हुए सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी प्रमुख आयामों को समाहित करता है।
कार्यक्रम संयोजक प्रो. अजय कुमार शुक्ला, पूर्व विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग ने कहा कि नई शिक्षा नीति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर बल देती है, बल्कि इसे अधिक समावेशी, लचीला और व्यावहारिक बनाने की दिशा में अग्रसर है। इसका मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को ऐसा वातावरण देना है जिसमें वे न केवल रोजगारोन्मुख बनें बल्कि जीवनोन्मुख भी हों। शिक्षा को शोध और नवाचार से जोड़ना, भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ना और डिजिटल माध्यमों से सबको जोड़ना ही इसकी मूल भावना है।
सह-संयोजक डॉ. मनीष पांडेय ने कुशल संचालन किया। इस अवसर पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से लगभग 60 शिक्षक और शोधार्थी सहभागी बने।
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