नौगढ़ का बेटा बना दिल्ली यूनिवर्सिटी का उपाध्यक्ष: रितिक केशरी की जीत से NSUI को बड़ा झटका
जानें रितिक केशरी की कहानी
हिन्द भास्कर
विनोद कुमार यादव
नौगढ़, चन्दौली।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनावों ने इस बार इतिहास रच दिया। चंदौली जिले के छोटे से गांव बाघी के रितिक केशरी ने उपाध्यक्ष पद पर जीत दर्ज कर न केवल अपने क्षेत्र बल्कि पूरे विश्वविद्यालय को चौंका दिया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हुए रितिक ने नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के दिग्गज उम्मीदवार केशव यादव को मात दी चंदौली जिले की पंचायत बाघी में एक साधारण परिवार में जन्मे रितिक केशरी का सफर प्रेरणादायक है। उनके पिता संतोष केशरी बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक हैं, जबकि उनकी मां, शकुंतला देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य और गृहणी हैं। सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले रितिक ने अपने सपनों को पंख देने के लिए मेहनत और जुझारूपन को अपना हथियार बनाया।
दिल्ली यूनिवर्सिटी में इस बार के छात्र संघ चुनावों में जातिगत समीकरणों का प्रभाव शुरुआत से ही दिखा। लेकिन रितिक ने "सर्व समाज" का नारा देकर सभी वर्गों को अपने साथ जोड़ा। उन्होंने जाति और पार्टी की सीमाओं को तोड़ते हुए छात्रों का भरोसा जीता। उनका यह अभियान सोशल मीडिया पर भी खासा लोकप्रिय रहा, जिसने चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाई।
छात्रों की आवाज बने रितिक
रितिक केशरी केवल एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि छात्रों के बीच एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुके हैं। उनका मददगार स्वभाव, हर किसी की समस्या सुनने की आदत और समाधान निकालने की कोशिश ने उन्हें खासा लोकप्रिय बना दिया। प्रचार के दौरान उनके साथ छात्रों का हुजूम इस बात का गवाह था कि वे सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि छात्रों की आवाज बन चुके हैं।
सोशल मीडिया और पर्सनैलिटी का खेल
रितिक केशरी ने चुनाव प्रचार में सोशल मीडिया का बेहतरीन उपयोग किया। उनकी रणनीति, प्रभावशाली संवाद शैली और आत्मविश्वास ने छात्रों को आकर्षित किया। इसके साथ ही, वे अपनी पर्सनैलिटी डवलपमेंट पर भी लगातार काम करते रहे, जिसने उन्हें एक मजबूत और प्रभावी नेता के रूप में उभारा।
जीत के मायने और भविष्य की उम्मीदें, नीलम ओहरी ने दी बधाई
पंचायत बाघी की प्रधान नीलम ओहरी ने बधाई देते हुए कहा कि रितिक की जीत सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं है, बल्कि यह छोटे गांवों के युवाओं के लिए बड़ी प्रेरणा है। उन्होंने दिखाया कि कड़ी मेहनत, सही दृष्टिकोण और आत्मविश्वास से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। अब छात्रों को उनसे उम्मीदें हैं कि वे उनके मुद्दों को मजबूती से उठाएंगे और ठोस समाधान देंगे। समाजसेवी दीपक गुप्ता ने कहा कि रितिक की यह जीत न केवल नौगढ़ बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए गर्व का क्षण है। यह सफलता उन तमाम युवाओं को एक संदेश देती है कि गांवों में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं, बस जरूरत है तो उसे पहचानने और तराशने की।
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