यूपी में पराग को और मजबूत करने की जरूरत है-सुनील गुप्ता

सहकारी समितियों को संसाधन से मजबूत करने की आवश्यकता है-डॉ अरुण कुमार सिंह ।
हिन्द भास्कर, लखनऊ।
सहकार भारती के प्रदेश कार्यालय, लखनऊ में सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता में सहकार भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील गुप्ता ने कहा
सहकारी आंदोलन में ़कार्यरत सहकारी संस्थाओं के विनियमन एवं कार्य संचालन हेतु सहकारी अधिनियम बने तथा इनमें समय-समय पर आवश्यकता के परिपेक्ष्य में संशोधन हुए, सहकारी संस्थाओं में वित्तीय समावेशन हेतु राज्य सरकार द्वारा अंश पूँजी में विनियोजन तथा राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा मापदण्डों के अंतगर्त वित्तीय सहायता प्रदान की गयी। वर्ष 2021 में केन्द्र में अलग स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय का गठन हुआ। सहकारी संस्थाओं हेतु कई योजनाएं दी गयी।
प्रेस वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह ने कहा प्रदेश में सदस्यता अभियान चलाकर 24 लाख नये सदस्यों को जोड़ने का अभियान चलाया गया है। बी-पैक्स जिन्हें उपर्युक्त नीति के अंतर्गत विकास इंजन के रूप में माना गया है, के कम्प्यूटरीकरण का कार्य भी किया जा रहा है। सहकार भारतीय उत्तर प्रदेश के बी पैक्स प्रकोष्ठ का प्रांतीय सम्मेलन 5 अक्टूबर 2025 को चौधरी चरण सिंह सभागार, सहकारिता भवन लखनऊ में आयोजित किया है।
सहकारिता के क्षेत्र में प्रथम विश्वविद्यालय केंद्र सरकार के तरफ से खोले गए हैं उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री द्वारा सहकारी क्षेत्र में अध्ययन, अध्यापन एवं अनुसंधान कार्य के लिए राज्य सहकारी महाविद्यालय खोलने का निर्णय का सहकार भारती स्वागत करती है।
बी-पैक्स व अन्य सहकारी संस्थाओं के आर्थिक सक्षमता हेतु यद्यिप कई योजनाए दी गयी है और अत्यधिक प्रभावी ढंग से इन निम्नलिखित विषयों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है-
1. बहुउद्देशीय पैक्स के सफल परिचालन के लिए आवश्यक आधार भूत (इन्फ्रास्ट्रक्चर) विकास के लिए प्रदेश सरकार द्वारा एक पृथक विकास फण्ड अपने बजट संसाधनों द्वारा निर्मित कर दिया जाए।
2. अल्पावधि ऋणों पर ब्याज सहायता योजना के अंतर्गत पैक्स को देय राशि अग्रिम तौर पर दी जाए ताकि इस राशि की प्राप्ति में होने वाले विलम्ब से बी-पैक्स को हो रही आर्थिक हानि को रोका जा सके।
3. उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्य की भाँति फसली ऋण में राहत हेतु प्रदेश के लघु एवं सीमान्त कृृषकों को अल्पकालीन फसली ऋण शून्य ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाय।
4. कृषि अल्पावधि ऋणों के लिए नाबार्ड द्वारा दिए जा रहे पुनर्वित की सीमा कुल ऋणों के 75ः तक बढ़ाई जाए ताकि पैक्स के माध्यम से आधार स्तरीय ऋण प्रवाह बढ़ाया जा सके।
5. वर्तमान में बी-पैक्स में कर्मचारियों, सचिवों की कमी है,अधिकतर जनपदों में एक-एक सचिव के पास तीन से चार समितियों का चार्ज है जिससे बी-पैक्स का सुचारू संचालन प्रभावित हो रहा है। समिति में कर्मचारियों, सचिवों की विभाग/शासन से समुचित व्यवस्था अपेक्षित है।
6. बी-पैक्स समितियों के कई वर्ष पूर्व निर्मिति भवन/गोदाम जर्जर स्थिति में हो गये हैं जिनमें बीज, उर्वरक आदि भण्डारित होती हैं। जिनके खराब होने की स्थिति उत्पन्न हो रही है। अतः बी-पैक्स के जर्जर कार्यालय गोदाम के मरम्मत/नव निर्माण करवाया जाय।
7. सहकारी संस्थाओं/बी-पैक्स के कार्यालय/गोदाम जिन भू-भाग पर अवस्थिति है। उनके राजस्व अभिलेखों में अंकन के कार्य का अभियान पूर्व में चलाया गया था किन्तु ऐसे समस्त संस्थाओं के भूमि का अंकन राजस्व अभिलेखों में नही हो सका है जिसे करवाया जाय।
8. प्रदेश में सहकारी आंदोलन के अधिनियमन हेतु सहकारी समिति अधिनियम नियमावली व सहकारी समिति कर्मचारी सेवा नियमावली को बने हुए 45 वर्ष से अधिक का समय हरो गया है। जिन्हें आंदोलन हित में वर्तमान समय के परिपेक्ष्य में हितधारकों के सुझाव सहित संशोधित/नये सिरे से अधिनियमित किये जाने की आवश्यकता है।
9. दुग्ध उत्पादन सहकारी समितियों को किसान दुग्ध उत्पादकों द्वारा आपूर्ति किये दुग्ध मूल्य का पराग द्वारा गठित दुग्ध समितियों में आवश्यक पूँजी के अभाव में समय से भुगतान न हो पाने से किसान की आय में वृृद्धि का एक स्रोत दुग्ध उत्पादन किसी न किसी रूप में प्रभावित होता है। जिसके कारण दुग्ध उत्पादक किसान पराग की दुग्ध उत्पादन सहकारी समितियों को दूध की आपूर्ति न करके निजी संस्थाओं को आपूर्ति करने के लिए बाध्य हो जाते है। अतः सहकार भारती का सुझाव है कि किसान उत्पादक समूह के गठन व कार्य हेतु भारत सरकार द्वारा पूँजी प्रदत्त कर प्रोत्साहन की योजना की भाँति दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों को पॉच से दस लाख की पूँजी प्रदान किया जाय जिससे किसानों को दुग्ध मूल्य भुगतान समय से हो सके। जिससे पराग संस्था को भी मजबूती मिलेगी।
10. प्रदेश में कतिपय निजी क्षेत्र यथा बजाज, सिम्भावली, व मोदी समूह की चीनीं मिल तथा सरदार नगर (गोरखपुर), शामली व देवरिया मिल द्वारा गन्ना किसानों को समय से भुगतान नहीं किया जा रहा है। शासन द्वारा निर्धारित समय (14दिन) के अनुसार इन मिलों से गन्ना किसानों को ब्याज सहित भुगतान करवाया जाय।
इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री अरविंद दुबे , प्रदेश संगठन प्रमुख कर्मवीर सिंह,प्रदेश उपाध्यक्ष डीपी पाठक, सहित प्रदेश के अन्य पदाधिकारी गण उपस्थित रहे।
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