संस्कृत केवल भाषा नहीं अपितु भारतीय संस्कृति का आधार - पद्म भूषण प्रो.वशिष्ठ त्रिपाठी

Oct 14, 2024 - 10:10
Oct 14, 2024 - 10:13
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संस्कृत केवल भाषा नहीं अपितु भारतीय संस्कृति का आधार - पद्म भूषण प्रो.वशिष्ठ त्रिपाठी
संस्कृत केवल भाषा नहीं अपितु भारतीय संस्कृति का आधार - पद्म भूषण प्रो.वशिष्ठ त्रिपाठी

पंच पूजा ध्वज , शक्ति , शास्त्र , शस्त्र , शमी पूजन संपन्न

सिद्धपीठ हथियाराम मठ में विजय दशमी का पर्व हर्ष उल्लास के वातावरण में मनाया गया। पीठाधीश्वर स्वामी भावानीनंदन यति जी द्वारा वैदिक विधि विधान से पारंपरिक पंच पूजा का कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसमें ध्वज पूजन, शक्ति पूजन, शास्त्र पूजन, शस्त्र पूजन, शमी पूजन किया गया। पूजन के उपरांत महाराज श्री ने शिष्यों संग गरल पान करने वाले भगवान नीलकंठ का दर्शन किया तथा अभ्यागतों सहित उपस्थित जनमानस को संबोधित किया। विजयादशमी उत्सव के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मभूषण से अलंकृत प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में केन्द्रीय वि वि झारखंड के कुलाधिपति प्रो जे पी लाल, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो आंनद त्यागी, सिद्धार्थ वि वि कपिलवस्तु की कुलपति प्रो कविता शाह देवरिया के जिलाधिकारी रहे अखण्ड प्रताप सिंह , कुटुम्ब प्रबोधन के प्रांत अधिकारी डॉ शुकदेव त्रिपाठी, जंगीपुर के लोकप्रिय विधायक डॉ वीरेन्द्र यादव, डॉ रमाशंकर राजभर आदि जैसी विभूतियां मंच पर शोभायमान थीं। कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रत्नाकर त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए मठ की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला। प्रो आंनद त्यागी ने कहा कि सिद्धपीठ के प्रीतिनिधि के रूप में पूज्य महाराज श्री इस क्षेत्र के आध्यात्मिक विकास के साथ ही सामाजिक समस्याओं को दूर करने के लिए सतत प्रयासरत रहते हैं। महाराज श्री ने केवल बातें नहीं की हैं अपितु समता, समानता, संस्कार,शिक्षा के लिए यत्न किया है जिसकी पुष्टि आज के समारोह में सभी वर्गों की उपस्थिति है।

मुख्य अतिथि के रूप में अपना वक्तव्य देते हुए प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति का आधार है। इस आध्यात्मिक पीठ पर आने से यह बोध होता है कि हम किसी दूसरी पुरी में आ गए हैं। महाराज श्री ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि समय द्रुत गति से निकल रहा है। हमें इसकी पहचान करनी होगी। कुम्हार कभी भी टूटे घड़े को चाक पर नहीं चढ़ाता है। वह दूसरी मिट्टी लेकर सृजन करता है। यह भौतिक शरीर मिट्टी घड़े के समान है। यदि हम राष्ट्र और समाज के लिए इस जीवन में कुछ कर जाएं तो यही इस जीवन की सार्थकता होगी। तीन बार वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज कराये वाराणसी के प्रोफेसर अमर बहादुर सिंह व प्रोफेसर अमर ज्योति सिंह द्वारा प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था आबजर्वर फाऊंडेशन वाराणसी द्वारा पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2024 का सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का सफलता पूर्वक संचालन प्रो सानन्द सिंह ने किया। धर्म विज्ञान संकाय काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो.उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने पीठ से तीन पीढ़ियों के रिश्तों का उल्लेख करते हुए अपनी आस्था का उदगार व्यक्त किया। शारदीय नवरात्र के मुख्य यजमान झुन्ना सिंह ने अतिथियों को अंगवस्त्र, रुद्राक्ष की माला तथा बुढ़िया माई का भोग प्रसाद भेंट किया।जूनियर हाई स्कूल हथियाराम की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराया।

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