आज की युवा पीढ़ी इंटरनेट के माध्यम से किताबें खूब पढ़ रही है : रीता बहुगुणा जोशी

लखनऊ विश्वविद्यालय में ‘यथार्थ’ का लोकार्पण, प्रो. रीता बहुगुणा जोशी ने की सराहना।
हिन्द भास्कर: लखनऊ।
लखनऊ विश्वविद्यालय के एपी सेन सभागार में 11 अक्टूबर 2025 शनिवार को उo प्रo सचिवालय में कार्यरत सर्वेश कुमार मिश्र द्वारा रचित काव्य संग्रह ‘यथार्थ’ का लोकार्पण पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व सांसद प्रो. रीता बहुगुणा जोशी द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने सर्वेश कुमार मिश्र की लेखनी, संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा की सराहना करते हुए कहा कि “यथार्थ पुस्तक केवल एक कविता संग्रह नहीं, बल्कि समाज का दर्पण है, जिसमें चेतना, करुणा, संवेदना और साहस को खूबसूरती से पिरोया गया है।”
प्रो. जोशी ने कहा कि यह भ्रम है कि आज की युवा पीढ़ी पुस्तकें नहीं पढ़ती। उन्होंने कहा, “आज के युवा पहले से अधिक पढ़ रहे हैं, लेकिन ई-बुक्स के माध्यम से। इंटरनेट के माध्यम से दुनिया के श्रेष्ठतम लेखक युवाओं की पहुंच में हैं।” उन्होंने कहा कि साहित्य न केवल समाज का दर्पण है, बल्कि संस्कृति का संरक्षक भी है। उन्होंने सर्वेश कुमार मिश्र की कार्यशैली की सराहना करते हुए प्रत्येक दो वर्ष में एक नई पुस्तक प्रकाशित करने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने पुस्तक की सार्थकता के दृष्टिगत प्रकाशक से बोलकर आज के दिन पुस्तक का मूल्य 50 फीसदी छूट पर उपलब्ध भी करायी।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व आईएएस अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉo राम मनोहर मिश्र ने ‘यथार्थ’ में संग्रहित कविताओं की गहन समीक्षा करते हुए बताया कि यह संग्रह आम जनजीवन की अनुभूतियों का सार है। माँ के महत्व पर लिखी गई कविता को उद्धत करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य का वास्तविक मूल्य तभी है जब वह लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवन अग्रवाल ने कविता की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "कल्पना और यथार्थ के सामंजस्य से उपजी कविताएं ही समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होती हैं।" उन्होंने ‘यथार्थ’ को "स्वान्तः सुखाय और बहुजन हिताय" के सुंदर समन्वय का उदाहरण बताया।
साहित्यकार पवनपुत्र बादल ने एक लेखक की अनुभूति की तुलना उस पिता से की जो कन्यादान करते समय गर्व का अनुभव करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य हमेशा से लोककल्याण के लिए लिखा गया है और ‘यथार्थ’ इसी परंपरा को आगे बढ़ाता है। सचिवालय सेवा में सेवारत मुक्तिनाथ झा ने कहा कि "साहित्य की पांचों विधाओं का सम्मिलन ‘यथार्थ’ में देखने को मिलता है। इसकी कविताएं लोकमंगल की भावना से ओत-प्रोत हैं।"
शतरंग प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक के संपादक सुरेंद्र अग्निहोत्री ने बताया कि इस संग्रह में कुल 78 कविताएं हैं, जिनमें कवि ने समाज की विसंगतियों, मानवीय चिंताओं, और आने वाली चुनौतियों को अत्यंत मार्मिक ढंग से अभिव्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि "सर्वेश कुमार मिश्र उन संवेदनशील रचनाकारों में हैं, जिन्हें गली में घूम रही गाय और भूखे स्वान की चिंता भी उतनी ही होती है जितनी समाज की बड़ी समस्याओं की होती है।"
कार्यक्रम में श्रवण कुमार सेठ ने यथार्थ में संकलित "गाँव की सैर" व अमरेंद्र द्विवेदी ने "पिता" को समर्पित कविताओं का काव्य-पाठ कर श्रोताओं को संवेदनाओं के सागर में उतार दिया। साहित्यकार आशुतोष पाण्डेय,अमरेन्द्र दिवेदी समेत कई साहित्य प्रेमी, विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन व माँ सरस्वती पर माल्यार्पण से हुआ, कला मंडपम बैंड के हरीश शुक्ल व उनकी टीम ने सरस्वती वंदना की तत्पश्चात मंचासीन अतिथि द्वारा पुस्तक यथार्थ का विमोचन हुआ।
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