ऋतुओं का राजा है बसंत पंचमी का त्यौहार
बसंत पंचमी पर विशेष लेख
पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई का बलिदान दिवस है बसंत पंचमी
संसार की समस्त विधाओं और कलाओं की जननी है मां सरस्वती
भारतीयता का वैलेंटाइन डे हैं बसंत पंचमी
(इंजी. अतिवीर जैन पराग पूर्व उपनिदेशक, रक्षा मंत्रालय ,मेरठ)
बसंत पंचमी जिसे ऋषि पंचमी या श्री पंचमी भी कहा जाता है पौराणिक काल से चला आ रहा एक पुराना भारतीय त्यौहार है l यह त्यौहार प्रकृति से जुड़ा हुआ है l छह ऋतुओ में ग्रीष्म, वर्षा ,शरद, हेमंत,शिशिर के बाद बसंत ऋतु आती है l यह त्यौहार हर साल माघ महीने की पंचमी तिथि को मनाया जाता है l यह प्रकृति में होने वाले परिवर्तन को लेकर आती है l
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है l पौराणिक मान्यता है की बसंत पंचमी मां सरस्वती का जन्मदिन है l इसी कारण इस दिन सरस्वती की पूजा की जाती हैं l सरस्वती को ज्ञानदा, पारायणी, भारती ,भगवती ,बागेश्वरी ,विद्या देवी ,विमला, हंस गामिनी ,शारदा , वादिनी , वाग्देवी ,संगीत की देवी, ब्राह्मणी, गायत्री, दुर्गा, शक्ति ,बुद्धिदात्री , सिद्धिदात्री ,आदि पराशक्ति ,भारती ,हंस वाहिनी जगदंबा आदि नाम से जाना जाता है l सरस्वती साहित्य ,संगीत, विद्या, बुद्धि , ज्ञान, कला की प्रदाता देवी हैं l संसार की समस्त विधाओं और कलाओं की जननी है l सरस्वती के चार हाथ हैं l एक हाथ मे वीणा ,दूसरा हाथ वर मुद्रा में,तीसरे हाथ में पुस्तक और चौथे हाथ मे माला रहती है l सर पर मुकुट रहता है l और हंस पर विराजमान रहती हैं l सरस्वती को श्वेत हंस वाहिनी ,श्वेत पद्मासना ,वीणा वादिनी, और मयूर वाहिनी भी कहा गया है l सरस्वती एक नदी के रूप में भी थी l जो बाद में लुप्त हो गई l
पूर्वी भारत ,पश्चिमोत्तर भारत , बांग्लादेश, ,नेपाल सहित कई राष्ट्रों में बसंत पंचमी मनायी जाती है l य़ह छह मौसम में सबसे सुंदर मौसम होता है l इस मौसम में ना ज्यादा गर्मी होती हैं ना ज्यादा सर्दी l फूलों पर बाहर आ जाती है l खेतों में पीली सरसों सोने से चमकने लगती है l भंवरे फूलों पर मंडराने लगते हैं l आम पर बोर आ जाता हैं l पेड़ पौधों के पुराने पत्ते झड़ने लगते हैं l और नई कोपलों और नई पत्तियां, फूल आने लगते हैं l समस्त वातावरण बसंत के रंग में रंग जाता है l इस दिन कामदेव और रति की पूजा भी की जाती है l वास्तव में बसंत आदिकाल से चला आ रहा भारत का वैलेंटाइन त्यौहार हैं l बसंत के आने पर पंचतत्व जल ,वायु ,धरती, आकाश , अग्नि मादक रूप में आ जाते हैं l बसंत पंचमी के दिन सरस्वती की पूजा कर पीले रंग की बर्फी, बेसन, लड्डू प्रसाद बांटा जाता है l ज्यादा लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं l इसे रति काम महोत्सव ,मधुमास भी कहते हैं l इस मौसम में सुख का प्रभाव काम कारक रहता है l ऋतु परिवर्तन के कारण बसंत को ऋतुऔ का राजा कहा जाता हैं l तितलियां फूलों पर बैठने लगती हैं l
बसंत पंचमी के दिन युवा पतंगबाजी भी करते हैं l परंतु भारतीय परंपरा में इस त्यौहार का पतंग से कोई संबंध नहीं है l पतंगबाजी का रिवाज हजारों साल पहले चीन में शुरू हुआ l फिर कोरिया और जापान होते हुए भारत में आया l तब से पतंगबाजी इस त्यौहार पर की जाती है l
बसंत पंचमी के दिन को अनेक धार्मिक एवं ऐतिहासिक संदर्भों से भी जोड़ा जाता है l त्रेता युग में इसी दिन भगवान राम दंडकारण्य वन क्षेत्र में मां शबरी के आश्रम में आए थे l एक मान्यता है की पृथ्वीराज चौहान ने अफगानिस्तान में इसी दिन शब्द बेधी वाण से मोहम्मद गौरी का वध किया था l पृथ्वीराज चौहान ने अपने कवि चंद्रवरदाई के द्वारा एक चौपाई बोलने पर मोहम्मद गौरी को शब्द बेधी वाण से मारकर खत्म किया था l और पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई ने एक दूसरे के पेट में छुरा भोककर बलिदान दिया था l बसंत पंचमी के दिन ही गुरु गोविंद सिंह का विवाह माना जाता है l लाहौर निवासी वीर हकीकत ने जब इस्लाम धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया तो मुस्लिम इमाम ने उनको मौत की सजा दी l और तलवार से उनका शीश काट दिया l ऐसी मान्यता है कि उनका शीश धरती पर नहीं गिरा और आकाश मार्ग से स्वर्ग चला गया l और उनकी याद में सर्वाधिक पतंगे लाहौर में आज के दिन उड़ाई जाती हैं l बसंत पंचमी को ही राजा भोज और महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म हुआ था l
बसंत पंचमी का उत्सव विद्यालय ,कॉलेज और विश्वविद्यालय में सरस्वती की मूर्ति स्थापना कर बड़े उल्लास से मनाया जाता है l इस अवसर पर कवि सम्मेलन , परिचर्चा , कविता पाठ , गीत ,गायन आदि अनेकों कार्यक्रम स्कूलों में आयोजित किए जाते हैं l संगीतकार तबला ,सितार , सरोद आदि वाद्ययंत्रों का भी प्रदर्शन करते है l
जैन धर्म में लक्ष्मी का अर्थ होता है निर्वाण और सरस्वती का अर्थ होता है केवल ज्ञान l जैन धर्म में सरस्वती देवी की तुलना भगवान तीर्थंकर की वाणी से की गई है l जिसे जिनवाणी भी कहते हैं l जिनेंद्र भगवान की दिव्य ध्वनि स्वरूप देवी सरस्वती है l जिसे श्रुतदेवी भी कहा गया है l जैन धर्म की जैन सरस्वती के एक हाथ में कमंडल , दूसरे हाथ में अक्षमाला ,तीसरे हाथ में कमल ,चौथा हाथ में शास्त्र और सर पर जिन देव का अंकन होता है l इस प्रकार यह दोनों चीज जैन सरस्वती को वैदिक संस्कृति की सरस्वती से अलग करती हैं l जैन आचार्य कुन्द कुन्द देव का जन्मदिन भी बसंत पंचमी को हुआ था l जैन धर्म में जेठ महीने की शुक्ल पंचमी को जैन ज्ञान पंचमी या श्रुत पंचमी कहते हैं l और उस दिन जैन लोग श्रुत देवी और शास्त्रों की विधिपूर्वक पूजा पाठ करते हैं l
ऋग्वेद में सरस्वती को परम चेतना कहा गया है l पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण ने सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें एक वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी पूजा की जाएगी l तभी से भारत में बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का विधान शुरू हुआ , जो आज तक चल रहा है l
मथुराजी में दुर्वासा ऋषि के मंदिर पर बसंत पंचमी का मेला लगता है l वृंदावन के बांके बिहारी जी मंदिर में बसंती कक्ष खुलता है l शाह जी के मंदिर का बसंती कमरा प्रसिद्ध है जिसके दर्शन को भारी भीड़ आती है l मंदिरों में बसंती भोग और प्रसाद बांटे जाते हैं l बसंत पंचमी से ही ब्रज में होली के गाने होली का उत्सव शुरू हो जाता है l कहीं-कहीं बसंत का मेला भी लगता है l बच्चे युवा और वृद्ध लोग भी इस अवसर पर अपने आपको स्वस्थ और जवान महसूस करते हैं l भारतीय संस्कृति का प्रकृति से जुड़ा हुआ बसंत पंचमी का य़ह त्यौहार मौसम में परिवर्तन और मानव जीवन में उमंग और उल्लास लेकर आता है l और मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है l कवि पराग के शब्दों मे-
फूलों पर यौवन आया है ,प्रकृति ने ली अंगड़ाई है l
भंवरे कलियों का रसपान करें , ऋतु बसंत की आई है ll
पुराने पत्तों का झड़ जाना, और नयों का उग आना l उत्साह से आगे बढ़ जाना,मानव जीवन की सच्चाई है ll
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