भारतीय ज्ञान परंपरा मर्यादा और मूल्यों की धरोहर है - प्रोफेसर विकास शर्मा

डीडीयू में एन ई पी ओरिएंटेशन एवं सेंसिटाइजेशन का सातवां दिन

Sep 8, 2025 - 23:13
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भारतीय ज्ञान परंपरा मर्यादा और मूल्यों की धरोहर है - प्रोफेसर विकास शर्मा

एनईपी के विभिन्न आयामों पर हो रहा है विमर्श – प्रो. अजय शुक्ला

हिन्द भास्कर, गोरखपुर।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के यूजीसी–मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर (MMTTC) द्वारा आयोजित 11वें ऑनलाइन “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: ओरिएंटेशन एवं सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम” के सातवें दिन मुख्य वक्ता के रूप में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के पूर्व अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. विकास कुमार शर्मा और वनस्पति विज्ञान विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के डॉ. रामवंत गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति रही।

प्रो. विकास शर्मा, जो कि प्रसिद्ध कवि एवं वक्ता कुमार विश्वास के बड़े भाई भी हैं, ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा सदियों पुरानी एक समृद्ध और वैज्ञानिक ज्ञान प्रणाली है, जिसमें वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, आयुर्वेद, गणित, खगोलशास्त्र, नाट्यशास्त्र और अर्थशास्त्र तक का गहरा अध्ययन शामिल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भगवान राम की मर्यादा ही उन्हें पुरुषोत्तम बनाती है, और यही मर्यादा सभ्य समाज का आभूषण है। उन्होंने कहा कि “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” इसी ज्ञान परंपरा को शिक्षा के सभी स्तरों पर एकीकृत करने का प्रयास करती है ताकि छात्रों का बहुआयामी विकास हो सके।

दूसरे सत्र में डॉ. रामवंत गुप्ता ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) की संकल्पना और विश्वविद्यालयों में उसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसे छात्रों के लिए एक वर्चुअल डिजिटल वॉलेट बताया, जो शिक्षा को लचीला और गतिशील बनाने में सहायक है।

कार्यक्रम संयोजक प्रो. अजय कुमार शुक्ला ने अपने विचार रखते हुए कहा कि “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” केवल एक शैक्षिक सुधार नहीं है, बल्कि भारत की बौद्धिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का मार्गदर्शन है। यह नीति बहु-विषयकता और मूल्य-आधारित शिक्षा के माध्यम से छात्रों को ज्ञान, कौशल और संस्कार से सम्पन्न बनाती है। गीता का स्मरण कराते हुए उन्होंने कहा – “न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते”, अर्थात ज्ञान से पवित्र इस जगत में कुछ भी नहीं है।

सह-संयोजक डॉ. मनीष पांडेय ने भारतीय ज्ञान परंपरा एवं नयी शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन दोनों का समन्वय ही शिक्षा को समग्र और मूल्यपरक बनाता है. विभिन्न सत्रों में स्वागत एवं आभार ज्ञापन रिचा पल्लवी, विशाखा दीक्षित, मुक्तेशनाथ द्विवेदी तथा तकनीकी सहयोग विशाल मिश्रा नितेश सिंह एवं प्रीति कुमारी ने दिया। रिपोर्ट का संकलन अरुण मिश्रा द्वारा किया गया इस अवसर पर 60 से अधिक शिक्षक एवं शोधार्थियों ने सहभागिता की।

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KeshavShukla विभिन्न राष्ट्रीय साहित्यिक-सांस्कृतिक मंचों पर साहित्य विमर्श, कविता, कहानी लेखन ,स्क्रिप्ट लेखन, नाटकों का मंचन, रेडियो स्क्रिप्ट लेखन, उद्घोषणा कार्य एवं पुस्तक समीक्षा।