कृषि मंत्री की अध्यक्षता में प्री-खरीफ 2025 की कार्यशाला का हुआ आयोजन
कृषि मंत्री की अध्यक्षता में प्री-खरीफ 2025 की कार्यशाला का हुआ आयोजन
 
                                By:- Nirjala
लखनऊ(हिन्द भास्कर):- प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में शुक्रवार को प्री-खरीफ 2025 की कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में 06 मण्डलो आगरा, अलीगढ़, बरेली, मेरठ, मुरादाबाद और सहारनपुर के मंडलीय और जनपदीय कृषि अधिकारियों ने खरीफ 2025 की अपनी-अपनी रणनीतियों का प्रस्तुतीकरण किया। कृषि मंत्री द्वारा निर्देश दिये कि विभागीय अधिकारी जनपदों का नियमित रूप से भ्रमण करें तथा जनपदों में संचालित योजनाओं एवं प्रदर्शनों का सत्यापन कर जनपदीय फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने की रणनीति तैयार करें।
 
जनपदों में आई०पी०एम० लैब ठीक से कार्य नहीं कर रहे है, तो उन्हें तत्काल सही कराया जाए। विभाग द्वारा अपनी योजनाओं तथा क्रियाकलापों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म का प्रयोग किया जाए। प्रत्येक जनपद अपने विभाग का सोशल मीडिया पेज तैयार करे जिस पर विभिन्न योजनाओं तथा नवीन पद्धतियों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। धान की नर्सरी 15 मई 2025 तक पूर्ण करते हुए रोपाई का कार्य 15 जून 2025 तक संपन्न कराया जाए। प्रक्षेत्रों पर शत-प्रतिशत पंक्ति में बुवाई सुनिश्चित की जाए। प्रक्षेत्र के समस्त खण्डों एवं योजनान्तर्गत आयोजित किए जाने वाले प्रदर्शनों के प्लाट का शत-प्रतिशत मृदा परीक्षण कराया जाए तथा उर्वरकों का प्रयोग संस्तुति के आधार पर किया जाए।
 
उन्होंने कहा कि 02 मई को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में राज्य स्तरीय खरीफ गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। 05 मई 2025 विश्व मृदा दिवस पर कृषि विभाग के समस्त अधिकारी/कर्मचारी क्षेत्रों में जाकर मृदा नमूना ग्रहण कर प्रयोगशालाओं को उपलब्ध कराएगें, जिनके विश्लेषण की रिपोर्ट क्रमिक रूप से बुवाई से पूर्व कृषकों को उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने कहा कि जनपदों में आयोजित होने वाली प्रत्येक गोष्ठी एवं पाठशाला में भूमि के स्वास्थ्य सुधार के सम्बन्ध में परिचर्चा का बिन्दु अवश्य रखा जाए। जनपदों में आयोजित होने वाली क्राप कटिंग में अधिकारी/कर्मचारी शत-प्रतिशत प्रतिभाग कर उनके परिणामों का अंकन किया जाए।
अधिकतम एवं न्यूनतम उत्पादकता प्राप्त करने वाले कृषकों से सम्पर्क कर उनके द्वारा अपनायी जाने वाली पद्धतियों की जानकारी प्राप्त कर उनका विश्लेषण किया जाए। अधिक उत्पादकता प्राप्त करने वाले कृषकों द्वारा अपनायी जाने वाली पद्धतियों का जनपदीय कृषकों के मध्य व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तथा कम उत्पादकता प्राप्त करने वाले कृषकों द्वारा अपनायी जाने वाली पद्धतियों की कमियों को चिन्हित कर उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाए। कृषि रक्षा अधिकारी जनपद की मुख्य फसलों में लगने वाले रोगों एवं कीटों की एडवाइजरी एडवांस में जारी करें तथा बचाव के लिए कृषि रक्षा रसायनों की उपलब्धता समय से सुनिश्चित कराए।
मक्का एवं अरहर के आच्छादन में वृद्धि करते हुए उसके उत्पादन की तकनीक कृषकों तक पहुँचायी जाए। कृषि विभाग स्थापना के 150 वां वर्ष मना रहा है जिसे हम बीज वर्ष के रूप में मना रहे है। अच्छी गुणवत्ता के बीज उपलब्ध कराते हुए यथासंभव प्रयास कर अभियान चलाकर फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास करते हुए कृषि की विकास दर 20 प्रतिशत से ऊपर ले जाने का प्रयास किया जाए। कृषि राज्य मंत्री द्वारा निर्देश दिये गये कि धान एवं गेहूँ के रकबे को कम कर दलहनी/तिलहनी/मोटे अनाज का रकबा बढ़ाने का प्रयास किया जाए। गन्ने एवं मक्के के साथ यथासंभव अंतः फसली खेती को बढ़ावा दिया जाए। कृषकों को प्राकृतिक खेती के बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
ढैंचा एवं जिप्सम की जनपदों में आपूर्ति सुनिश्चित कराते हुए कृषकों को उसके उपयोग के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाए। कृषकों की आय में वृद्धि हेतु गन्ने एवं गेहूँ के साथ पापुलर की खेती को बढ़ावा देने का यथासंभव प्रयास किया जाए। प्रमुख सचिव कृषि द्वारा निर्देश दिये गये हैं कि प्रदर्शनों पर बोर्ड लगाते हुए निर्धारित सूचनाएं अंकित कराते हुए शत-प्रतिशत सत्यापन किया जाए। प्रदर्शनों में दलहनी एवं तिलहनी फसलों को प्राथमिकता दी जाए तथा एक विजिटर रजिस्टर रखा जाए जिसमें उस प्रदर्शन का भ्रमण करने वाले प्रत्येक किसान का विवरण अंकित किया जाए। किसान पाठशाला में कम से कम 40 कृषकों द्वारा प्रतिभाग किया जाए, जिसका सत्यापन के उपरांत ही भुगतान किया जाए।
अनुदान पर दिए जाने वाले बीज की शत-प्रतिशत बुवाई पंक्ति में सुनिश्चित करायी जाए। पंक्ति में बुवाई न होने की दशा में बीज पर दिए जाने वाले अनुदान की वसूली का प्राविधान किया जाए। जनपद की रणनीति तैयार करते समय जनपदीय आधारभूत आंकड़ों के साथ-साथ डिजिटल क्राप सर्वे के आंकड़ों को भी ध्यान में रखा जाए। जनपदीय/मण्डलीय अधिकारी जनपद के लिए आवश्यक फसलों की सामान्य एवं संकर प्रजातियों की सूचना अपर कृषि निदेशक (बीज एवं प्रक्षेत्र) को उपलब्ध करा दें। क्षेत्रीय कार्मिकों द्वारा नियमित रूप से क्षेत्र का भ्रमण किया जाए तथा उपलब्ध करायी गयी दैनन्दिनी में नियमित दिनचर्या का अंकन किया जाए। उच्च अधिकारियों के भ्रमण के समय दैनन्दिनी अवलोकन हेतु प्रस्तुत की जाए। इस अवसर पर विशेष सचिव कृषि इंद्रविक्रम सिंह, प्रबंध निदेशक उ0प्र0 बीज विकास निगम पंकज त्रिपाठी, निदेशक सुमिता सिंह सहित कृषि विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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