योग को लोक से जोड़ने का श्रेय गुरु गोरखनाथ को
योग को लोक से जोड़ने का श्रेय गुरु गोरखनाथ को

निर्जला चौबे की रिपोर्ट
लखनऊ(हिन्द भास्कर):-21 जून को पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मानती है। योग दिवस पर देश में लगभग 1 लाख से अधिक जगहों पर आयोजन होने हैं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन और इसमें करीब 175 देशों की भागीदारी से यह पता चलता है कि आज पूरी दुनिया योग की महत्ता को समझ चुकी।
इस स्वीकार्यता के साथ भारतीय मनीषा भी वैश्विक फलक पर प्रतिष्ठित हो रही है। दुनिया के प्राचीनतम ग्रंथ वेद से लेकर उपनिषद, स्मृति, पुराण, रामायण, महाभारत समेत सभी धर्मग्रंथों में योग का उल्लेख है। पर, अमूमन इसका दायरा गुफाओं, कंदराओं और अरण्यों में साधना, सिद्धि और मोक्ष तक ही सीमित था। महर्षि पंतजलि ने योग की अपनी इस समृद्ध परंपरा को एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक स्वरूप दिया।
जबकि गुरु गोरखनाथ ने योग के अंतर्निहित विशेषताओं को जन सामान्य के लिए सुलभ बनाकर इसे लोककल्याण का जरिया बनाया। गुरु गोरखनाथ और उनके बाद के नाथ योगियों, सिद्धों एवं साधकों ने शरीर को स्वस्थ, मन को स्थिर एवं आत्मा को परमात्मा में प्रतिष्ठित करने वाली इस विधा को लोक तक पहुंचाया। फिर तो योग जाति, धर्म, मजहब, लिंग और भौगोलिक सीमाओं से परे सबके लिए उपयोगी होता गया। आज पूरी दुनिया योग को इसी रूप में स्वीकार भी कर रही है।
उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म, दर्शन, अध्यात्म और साधना से जुड़े संप्रदायों में नाथपंथ का महत्वपूर्ण स्थान है। वृहत्तर भारत समेत देश के हर क्षेत्र में नाथ योगियों, सिद्धों, उनके मठों और मंदिरों की उपस्थिति इस पंथ की व्यापकता और प्रभाव का सबूत है।
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