ज्येष्ठ मास के पहले बड़े मंगलवार पर मेरे आराध्य हनुमान जी को निवेदित मेरी एक ग़ज़ल

ज्येष्ठ मास के पहले बड़े मंगलवार पर मेरे आराध्य हनुमान जी को निवेदित मेरी एक ग़ज़ल

May 13, 2025 - 22:58
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ज्येष्ठ मास के पहले बड़े मंगलवार पर मेरे आराध्य हनुमान जी को निवेदित मेरी एक ग़ज़ल

नवीन पाण्डेय

हिन्द भास्कर:- हर दम मिरे सर पर साया है हनुमान का, डर कैसा हो दिल में जब नाम है भगवान का।

झूले हैं जो पर्वत को उँगली से उठाकर, क़ाबू है जिनके बस में अब रौद्र तूफ़ान का।

शब भर जो भटकते थे तन्हा अँधेरों में, चराग़ बन गया दिल में ज़िक्र हनुमान का।

सीना चीर कर दिखा दी सच्ची वफ़ा उन्होंने, घर-घर में बस गया है चर्चा हनुमान का।

भटके हुए हर इक को मंज़िल वो दिखाते हैं, दीया बनें अंधेरों में चेहरा मुस्कान का।

दु:ख दर्द मिटा देते हैं जो सच्चे मन से पुकारे, ‘नवीन’ को भी मिला सहारा बजरंग बलिदान का।

‘नवीन’ अब हर साँस में संजीवनी बस गई है, लब पर सदा रहता है नाम हनुमान का।

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