केजीएमयू के अधिकारी और कर्मचारी सीएम के आदेशों को न केवल अनदेखा कर रहे हैं, बल्कि सीधे तौर पर दे रहे चुनौती

केजीएमयू के अधिकारी और कर्मचारी सीएम के आदेशों को न केवल अनदेखा कर रहे हैं, बल्कि सीधे तौर पर दे रहे चुनौती

Feb 20, 2025 - 20:57
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केजीएमयू के अधिकारी और कर्मचारी सीएम के आदेशों को न केवल अनदेखा कर रहे हैं, बल्कि सीधे तौर पर दे रहे चुनौती

By:- Nirjala

लखनऊ(हिन्द भास्कर):- लखनऊ के केजीएमयू मेडीकल कालेज के अधिकारी और कर्मचारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों को न केवल अनदेखा कर रहे हैं, बल्कि सीधे तौर पर चुनौती दे रहे हैं।

आप को बता दे लखनऊ के केजीएमयू की पुरानी इमारतों की मरम्मत और रंगाई-पोताई के लिए टेंडर निकाल गया था जिस पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। मुख्यमंत्री के ऑफिस में हुई शिकायत के मुताबिक, जिस फर्म को यह टेंडर मिला है उसने पीडब्ल्यूडी में काम करने का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाया है।

शिकायतकर्ता राकेश कुमार के मुताबिक, जनसुनवाई पोर्टल पर पीडब्लूडी के एक्सईएन ने इस अनुभव प्रमाण पत्र को फर्जी बताया है। वहीं, केजीएमयू अफसरों ने दावा किया है कि पीडब्ल्यूडी के सत्यापन के बाद ही इस फर्म को काम दिया गया। बवाल को बढ़ता देख केजीएमयू के अधिकारियो ने प्रमाण पत्र की दोबारा जांच करवाने का फैसला किया है। शिकायत के मुताबिक, केजीएमयू में मरम्मत, रखरखाव और रंगाई-पोताई समेत कई कामों के लिए बेवसाइट पर www. etender.up.nic.in निविदाएं मांगी गई थीं।

इसमें फर्म बृजेश सिंह ने पीडब्ल्यीडी देवरिया के प्रांतीय खंड का अनुभव प्रमाण पत्र लगाया था। आरोप है कि केजीएमयू के निर्माण विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी प्रमाण पत्र लगाया गया। पूरी प्रकिया ऑनलाइन होने के बावजूद यह प्रमाण पत्र ऑफलाइन जमा किया गया। शिकायतकर्ता राकेश के मुताबिक, ई-टेंडर में इस्तेमाल अनुभव प्रमाण पत्र की जांच देवरिया प्रांतीय खंड के एक्सईएन से करवाने की मांग करते हुए 10 फरवरी को जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की थी।

इस पर एक्सईएन ने 13 फरवरी को जवाब भेजा। इसके मुताबिक, विभाग ने ऐसा कोई अनुभव प्रमाण पत्र संबंधित फर्म को जारी नहीं किया है। इस बारे में केजीएमयू प्रवक्ता प्रो. केके सिंह का कहना है कि शुरुआती जानकारी के मुताबिक, ई-टेंडर के बाद फर्म के अनुभव प्रमाण पत्र की कॉपी पीडब्ल्यूडी के देवरिया प्रांतीय खंड को भेजी गई थी। पीडब्ल्यूडी ने सत्यापन भी किया था। इसके बाद ही टेंडर दिया गया। अब जब फिर से टेंडर को लेकर सवाल उठे हैं। लिहाजा दोबारा जांच करवाई जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई कड़ी कार्रवाईयों के बावजूद, केजी एम यू के कुछ कर्मचारी और अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए नजर आ रहे हैं। इस मामले ने न केवल सरकारी तंत्र की कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि न्यायपालिका और मुख्यमंत्री से उम्मीदों को भी बढ़ा दिया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।

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