कोई भी सरकारी संकल्प तब तक पूर्ण नहीं होता, जब तक जनता का व्यापक सहयोग न मिले:- अनिल राजभर

कोई भी सरकारी संकल्प तब तक पूर्ण नहीं होता, जब तक जनता का व्यापक सहयोग न मिले:- अनिल राजभर

Jun 19, 2025 - 23:03
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कोई भी सरकारी संकल्प तब तक पूर्ण नहीं होता, जब तक जनता का व्यापक सहयोग न मिले:- अनिल राजभर

निर्जला चौबे की रिपोर्ट

लखनऊ(हिन्द भास्कर):- अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर आयोजित ‘बाल श्रम निषेध सप्ताह' के समापन समारोह का आयोजन इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में सम्पन्न हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने स्पष्ट कहा कि मुख्यमंत्री का संकल्प है कि 2027 तक उत्तर प्रदेश को बाल श्रम मुक्त करना है। मंत्री ने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक बाल श्रमिक अफ्रीका में हैं, इसके बाद एशिया और एशिया में भारत, जहां उत्तर प्रदेश की स्थिति भी चिन्ता जनक है।

यह सामाजिक चुनौती है, जिसका समाधान केवल सरकारी प्रयासों से नहीं होगा, बल्कि प्रदेश की जनता को भी इसमें सक्रिय भागीदारी निभानी होगी। 10 जनपद अब तक बाल श्रम मुक्त घोषित हो चुके हैं। प्रदेश सरकार शेष जनपदों को 2027 तक बाल श्रम मुक्त करने के लिए सघन अभियान चला रही है। यह केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं है, यह समाज की साझी जिम्मेदारी है। भारत सरकार ने भी उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की है। कोई भी सरकारी संकल्प तब तक पूर्ण नहीं होता, जब तक जनता का व्यापक सहयोग न मिले। प्रमुख सचिव डॉ0 एम.के. शनमुगा सुन्दरम ने कहा कि बाल श्रम केवल सामाजिक नहीं, बल्कि वैश्विक चुनौती है।

उत्तर प्रदेश को ऐसा उदाहरण बनाना है, जहां हर बच्चा स्कूल जाए, सुरक्षित रहे और गरिमा के साथ जीवन यापन करे।" उन्होंने यूनीसेफ के सहयोग की सराहना करते हुए सभी विभागों के बीच आपसी समन्वय को मजबूत करने पर बल दिया। श्रम आयुक्त मार्कण्डेय शाही ने बताया कि गत वर्ष श्रम विभाग ने प्रदेश में 11,000 से अधिक बाल श्रमिकों को चिन्हित कर उनका पुनर्वास कराया है। हम पंचायत स्तर तक निगरानी समितियां बनाकर, बाल पुनर्वास कोष का प्रभावी उपयोग कर रहे हैं। जब तक प्रदेश बाल श्रम मुक्त नहीं हो जाता, यह अभियान सतत जारी रहेगा। यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक अमित मेहरोत्रा ने कहा कि बाल श्रम हर बच्चे के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। यूनिसेफ उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर राज्य कार्ययोजना के धरातल पर क्रियान्वयन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

कार्यक्रम में हाल ही में जिनेवा में आईएलओ एवं यूनिसेफ द्वारा प्रस्तुत वैश्विक रिपोर्ट के मुख्य बिंदु साझा किए गए। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में विश्व भर में 13.8 करोड़ बच्चे बाल श्रम में संलिप्त पाए गए, जिनमें 5.4 करोड़ खतरनाक कार्य कर रहे हैं। रिपोर्ट ने चेताया है कि यदि वर्तमान प्रयासों की गति यही रही तो 2025 तक बाल श्रम उन्मूलन का वैश्विक लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रयासों को 11 गुना तेज करना होगा। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार एक करोड़ से अधिक बाल श्रमिक हैं, जिनमें से 2.5 लाख उत्तर प्रदेश में हैं। प्रदेश में बाल श्रम का सर्वाधिक हिस्सा कृषि, घरेलू कार्य और छोटे उद्योगों में है। अनिल राजभर द्वारा बाल श्रम उन्मूलन पर आधारित दो पोस्टर और योजनाओं से संबंधित पुस्तिका का विमोचन किया गया।

समारोह में भिक्षावृत्ति से मुक्त कराई गई पायल और माही को मंच पर सम्मानित किया गया। दोनों बालिकाओं ने अपने जीवन संघर्ष साझा करते हुए डॉक्टर बनने की इच्छा व्यक्त की। लखनऊ और कानपुर के बाल श्रमिक विद्या योजना से जुड़े बच्चों अनिका यादव, समृद्धि यादव, अभिषेक विश्वकर्मा, अभिनव विश्वकर्मा, अनाया गुप्ता, पलक कश्यप, पारस कश्यप, फारा और हिफ्ज़ा सहित अन्य बच्चों को भी योजनाओं से लाभान्वित किया गया। बाल श्रम उन्मूलन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 10 जनपदों - गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, कानपुर नगर, लखनऊ, गाजियाबाद, आगरा, जौनपुर, उन्नाव, मुजफ्फरनगर और आजमगढ़ को सम्मानित किया गया। साथ ही, बाल श्रमिक विद्या योजना सहित विभिन्न योजनाओं के 50 से अधिक लाभार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम में बाल श्रम उन्मूलन और पुनर्वासन में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले श्रम विभाग के जनपद गौतम बुध नगर,मेरठ कानपुर नगर लखनऊ गाजियाबाद आगरा जौनपुर उन्नाव मुज्जफनगर व जौनपुर के अधिकारियों को समित किया गया

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