क्लासरूम के साथ अब क्लाउडरूम भी: प्रो. अजय शुक्ला
फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम में स्वयम और मिश्रित शिक्षण पर व्याख्यान
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर स्थित यूजीसी–मालवीय मिशन टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर द्वारा आयोजित फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम (एफ़आईपी) के अंतर्गत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए नव नियुक्त सहायक प्राध्यापकों की सहभागिता के बीच “क्लासरूम से क्लाउडरूम तक” विषय पर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. अजय कुमार शुक्ला, अंग्रेज़ी विभाग, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने विचार व्यक्त किए। व्याख्यान में उन्होंने पारंपरिक कक्षा शिक्षण (क्लासरूम) और डिजिटल माध्यमों पर आधारित शिक्षण (क्लाउडरूम) के संतुलित और पूरक स्वरूप पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में यह स्पष्ट किया गया कि जहाँ क्लासरूम प्रत्यक्ष संवाद, मार्गदर्शन और अकादमिक अनुशासन का केंद्र है, वहीं क्लाउडरूम डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से समय और स्थान की सीमाओं से मुक्त होकर सीखने के अतिरिक्त अवसर प्रदान करता है। इस प्रकार, दोनों मिलकर उच्च शिक्षा में मिश्रित शिक्षण (ब्लेंडेड लर्निंग) की अवधारणा को सुदृढ़ बनाते हैं।
अपने व्याख्यान में प्रो. शुक्ला ने कहा कि SWAYAM पारंपरिक क्लासरूम का स्थान लेने के लिए नहीं, बल्कि उसे सशक्त बनाने के लिए है। उन्होंने स्पष्ट किया कि क्लासरूम शिक्षण प्रत्यक्ष संवाद, मार्गदर्शन और अकादमिक अनुशासन प्रदान करता है, जबकि क्लाउडरूम आधारित शिक्षण छात्रों को लचीलापन, अतिरिक्त संसाधन और स्व-अध्ययन के अवसर उपलब्ध कराता है। इस प्रकार, दोनों मिलकर ब्लेंडेड लर्निंग मॉडल को मजबूत बनाते हैं।
प्रो. शुक्ला ने बताया कि SWAYAM (स्टडी वेब्स ऑफ़ एक्टिव लर्निंग फ़ॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स) भारत सरकार का राष्ट्रीय ऑनलाइन शिक्षा मंच है, जहाँ पाठ्यक्रम राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार किए जाते हैं। उन्होंने जानकारी दी कि SWAYAM पर पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण वर्ष में दो बार—जनवरी और जुलाई सत्र में—आरंभ होता है, अतः छात्रों और शिक्षकों—दोनों को इसके प्रति जागरूक रहना चाहिए।
मूल्यांकन व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि शैक्षणिक क्रेडिट पाठ्यक्रमों में 30 प्रतिशत अंक आंतरिक मूल्यांकन (असाइनमेंट, क्विज़ आदि) तथा 70 प्रतिशत अंक राष्ट्रीय स्तर की अंतिम परीक्षा के माध्यम से निर्धारित किए जाते हैं। यह व्यवस्था छात्रों में निरंतर अध्ययन की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करती है।
उन्होंने यह भी बताया कि यूजीसी दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी कार्यक्रम में कुल क्रेडिट का अधिकतम 40 प्रतिशत SWAYAM के माध्यम से अर्जित किया जा सकता है, जिससे छात्रों को पाठ्यक्रम चयन में लचीलापन और अकादमिक विविधता का लाभ मिलता है।
पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता पर चर्चा करते हुए प्रो. शुक्ला ने कहा कि SWAYAM पर आधुनिक शिक्षण विधियों, विशेष रूप से एवीजीसी (एनीमेशन, विज़ुअल इफ़ेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स) जैसे तत्वों का संतुलित उपयोग किया जाता है, जिससे जटिल अवधारणाएँ सरल और रोचक रूप में प्रस्तुत हो पाती हैं।
पहले और दूसरे सत्र में जेएनयू के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. संजय कुमार पाण्डेय ने भारत और रूस के संबंधों को एक दीर्घकालिक, भरोसे पर आधारित रणनीतिक साझेदारी के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री भी यह सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं कि रूस भारत का सबसे पुराना और निकटतम सहयोगी रहा है। उन्होंने यह तथ्य भी साझा किया कि रूस भू-क्षेत्र में भारत से लगभग पाँच गुना बड़ा है, जबकि जनसंख्या में भारत रूस से लगभग दस गुना बड़ा है, फिर भी दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग शक्ति-संतुलन और कूटनीतिक समर्थन के स्तर पर एक-दूसरे के लिए पूरक सिद्ध हुआ है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि सोवियत संघ काल से ही रूस एक सैन्य महाशक्ति के रूप में स्थापित रहा है और आज भी वह हथियार, मिसाइल प्रणालियों तथा अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में वैश्विक शक्तियों को चुनौती देने की क्षमता रखता है।
कार्यक्रम के चौथे सत्र में डॉ. अनीता अग्रवाल और डॉ. उमा शंकर तिवारी के निर्देशन में प्रतिभागियों ने विभिन्न विषयों प्रस्तुतियाँ दीं
इस अवसर पर कार्यक्रम के पाठ्यक्रम प्रभारी एवं भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार तिवारी ने कहा कि इस प्रकार के व्याख्यान नव नियुक्त शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की व्यावहारिक समझ प्रदान करते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. कृपा मणि मिश्रा द्वारा प्रस्तुत स्वागत उद्बोधन से हुआ।
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