अंधविश्वास पर एक तीखा व्यंग्य - प्रेमचन्द की कहानी 'मूठ'

Jul 31, 2025 - 19:14
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अंधविश्वास पर एक तीखा व्यंग्य - प्रेमचन्द की कहानी 'मूठ'

प्रेरणा कला मंच द्वारा मुँशी प्रेमचंद की कहानी

'मूठ' पर आधारित नाटक का भव्य मंचन

हिन्द भास्कर,

वाराणसी।

हिन्दी साहित्य के कालजयी लेखक मुंशी प्रेमचंद की 145वीं जयंती के अवसर पर बृहस्पतिवार को प्रेरणा कला मंच द्वारा उनके प्रसिद्ध सामाजिक यथार्थ पर आधारित कहानी 'मूठ' पर एक सशक्त नाट्य मंचन प्रस्तुत किया गया। यह समारोह रामलीला मैदान, लमही में बड़े ही उत्साह एवं सांस्कृतिक गरिमा के साथ आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी, रंगकर्मी और स्थानीय नागरिक उपस्थित थे।

नाटक 'मूठ' में अंधविश्वास पर एक तीखा व्यंग्य है, जो समाज में व्याप्त पाखंड और शोषण को उजागर करती है। नाटक का मुख्य संदेश है कि अंधविश्वास लोगों को मूर्ख बनाता है और धोखाधड़ी का शिकार बनाता है। नाटक में एक बीमार औरत को बचाने के नाम पर एक ढोंगी 'सिद्ध' (बुद्धु) लोगों को बेवकूफ बनाता है और उनसे पैसे ऐंठता है। एक डॉक्टर जो खुद को शिक्षित और तर्कशील मानता है। वह भी ढोंगी के झांसे में आ जाता है और अपनी बीमार पत्नी को बचाने के लिए ढोंगी को पैसे देने को तैयार हो जाता है। ढोंगी जो बहुत बड़ा धोखेबाज है। वह औरत को ठीक करने का नाटक करता है और पैसे लेकर फरार हो जाता है। अंत में डॉक्टर को अपनी गलती का एहसास होता है और वह कहता है कि मुझे ऐसी शिक्षा मिली है जो मैं जीवन भर नहीं भूलूँगा। 

नाटक के पश्चात दर्शकों ने कलाकारों के प्रदर्शन की मुक्तकंठ से सराहना की। इस अवसर पर प्रेरणा कला मंच के निदेशक प्रवीण जोशी ने बताया कि *"प्रेमचंद केवल कथाकार नहीं, बल्कि समाज के दर्पण हैं। उनके पात्र आज भी हमारे आस-पास जीवित दिखाई देते हैं। इस तरह के नाट्य मंचन उनके विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम हैं।"* उन्होंने कहा कि प्रेरणा कला मंच सन 1992 से लगातार प्रतिवर्ष प्रेमचंद जयन्ती के अवसर पर उनकी कहानियों पर आधारित नाटकों की प्रस्तुतियाँ करते आ रहा है।

नाट्यश्री मोतीलाल गुप्ता द्वारा नाट्य रूपांतरित व निर्देशित 'मूठ' का सह-निर्देशन प्रवीण जोशी, विवेकानंद ब्रह्मचारी व अजीत गौरव ने किया, जिन्होंने प्रेमचंद की कथा को मंचीय रूप देने में अद्वितीय कौशल का परिचय दिया।

मुख्य भूमिका में प्रिंसी सेठ (अहिल्या), रागिनी विश्वकर्मा (माँ), अवंतिका भारद्वाज (धाय माँ), अजय पाल (बुद्धु), रंजीत कुमार (डाक्टर), विजय प्रकाश (लड़का), गणेश गौतम (पिता), किशन कुमार (रघु), सुजीत गौरव (डाकिया) व अशोक पटेल (ग्रामीण) ने अपने जीवंत अभिनय से पात्रों में जान डाल दी। इस नाटक में संगीत व गायन अजीत गौरव तथा वादन गौरी शंकर नागवंशी व सुजीत गौरव ने किया। रूप सज्जा सुजीत गौरव व रंजीत राज ने किया। विशेष मंच सज्जा व पारंपरिक लोकधुनों पर आधारित संगीत की मदद से नाटक को एक प्रभावशाली वातावरण प्रदान किया गया। इस अवसर पर दयाकर पामिशेट्टी, राजेश श्रीवास्तव, रविकांत, मरियानुस, प्रमोद पटेल, अनिल कुमार, राजीव गोंड व बिन्दू देवी आदि उपस्थित रहे।

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