गौ भक्तों को मुख्यमंत्री योगी से उम्मीद; मिलेगा गौमाता को राजमाता का दर्जा

Oct 27, 2025 - 17:17
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गौ भक्तों को मुख्यमंत्री योगी से उम्मीद; मिलेगा गौमाता को राजमाता का दर्जा

अशोक कुमार मिश्र 

गौ माता को राज्य माता का दर्जा देने के मामले में गौ भक्तों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी से पूरी उम्मीद है। इन गौ भक्तों का मनना है कि इस माह 30 अक्टूबर को गोपाष्टमी के दिन यूपी सरकार गौ माता को राजमाता का दर्जा देने की घोषणा कर सकती हैं।

गोपाष्टमी हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गोचारण (गायों को चराने) का कार्य आरंभ किया था। इसी कारण इसे गोपाष्टमी कहा जाता है। गोपाष्टमी का उद्देश्य गौ-सेवा, संरक्षण और उनके प्रति श्रद्धा भाव को बढ़ाना है, क्योंकि हिंदू संस्कृति में गाय को ‘माता’ के रूप में पूजनीय माना गया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी गोरक्षपीठ के महंत भी है। गोरक्ष का मतलब गौ रक्षा से हैं। ठीक से गौ रक्षा तभी हो सकता है, जब गौ माता को राज्य माता का दर्जा मिले। मुख्यमंत्री योगी बहुत बड़े गौ रक्षक हैं। गौ सेवा करते है। दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा पर उन्होंने गोरखपुर आश्रम की गौशाला में गौ माता की विधिवत पूजा की। मुख्यमंत्री जी गाय की महिमा को ठीक से जानते हैं और गौ सेवा के कई चमत्कार भी देख चुके हैं। एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि गौ सेवा से उन्होंने कई रोगियों को ठीक होते देखा है। कुछ वर्ष पूर्व गोरक्षपीठ में मानसिक रूप से प्रभावित कई व्यक्ति आ गए। कहा के है, यह भी नहीं बता पा रहे थे। उन्होंने सबको गौ सेवा में लगा दिया। कुछ माह बाद उनमें सुधार होने लगा और एक दो वर्ष में सभी ठीक हो गए।

भारत की समृद्धि का गोवंश आधार रहा है। बस, प्रदेश सरकार को राज्य माता का व केंद्र सरकार को राष्ट्र माता का दर्जा देना बाकी है। वैसे तो यूपी सरकार गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी है। गोबर, गोमूत्र, दूध, दही और घी से बने पंचगव्य उत्पादों के उत्पादन और विपणन को लेकर व्यापक योजना तैयार की गई है। सरकार गोवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई कार्यक्रम संचालित कर रही है। प्रदेश में 16 लाख गोवंश ऐसे हैं जिनका भरण पोषण प्रदेश सरकार अनुदानित कर रहे है। गोवंश के लिए प्रदेश में तीन प्रकार की विशेष योजनाएं हैं। एक योजना निराश्रित गोवंश स्थल की है जिसमें हर गोवंश के लिए सरकार के स्तर पर प्रतिमाह 1500 रुपये उपलब्ध कराए जाते हैं। ऐसे ही सहभागिता योजना है। इसमें कोई भी अन्नदाता किसान गोवंश के संरक्षण और संवर्धन के साथ जुड़ता है तो उसे चार निराश्रित गोवंश की देखभाल के लिए प्रति गोवंश 1500 रुपये की दर से 6000 रुपये तक दिए जाते हैं। तीसरी योजना कुपोषित परिवारों के लिए है। जो कुपोषित माताएं हैं, बच्चे हैं, उन परिवारों में उन्हें निराश्रित गो आश्रय स्थल से ब्याई हुई गाय दी जाती है। वह सेवा करें और गाय का दूध भी लें। साथ ही उन्हें 1500 रुपये प्रति महीना गाय की देखभाल के लिए दिया जाता है। बड़ी संख्या में लोगों ने इस योजना का लाभ लिया है और कुपोषण से सुपोषण की ओर बढ़े हैं। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में ही गौतस्करी और अवैध बूचड़खानों पर पूरी सख्ती से रोक लगाई। साथ ही निराश्रित गोवंशों के लिए गौ आश्रयों का भी बड़ी संख्या में निर्माण कराया। अब उनकी मंशा इन्हीं गौ आश्रयों के जरिए लोगों को प्राकृतिक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने की है। अब तक प्रदेश में योगी सरकार 7700 से अधिक गौ आश्रय बना चुकी है। इनमें करीब 12.5 लाख निराश्रित गोवंश रखे गए हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत करीब 1 लाख लाभार्थियों को 1.62 लाख निराश्रित गोवंश दिए गए हैं।

25 प्रजाति की देसी नस्ल की गायों के संरक्षण, संवर्धन एवं दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए भी सरकार ने नायाब पहल की है। इसके लिए शुरू की जाने वाली 'नंदनी कृषक समृद्धि योजना' के तहत बैंकों के लोन पर सरकार पशुपालकों को 50% सब्सिडी देगी। इसी क्रम में सरकार ने अमृत धारा योजना भी लागू की है। इसके तहत दो से 10 गाय पालने पर सरकार बैंकों के जरिये 10 लाख रुपये तक अनुदानित ऋण आसान शर्तों पर मुहैया कराएगी। योजना के तहत तीन लाख रुपये तक अनुदान के लिए किसी गारंटर की भी जरूरत नहीं होगी। प्रस्तुत बजट में सरकार ने छुट्टा गोवंश के संरक्षण के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके पहले अनुपूरक बजट में भी इस बाबत 1001 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। यही नहीं बड़े गौ आश्रय केंद्र के निर्माण की लागत को बढ़ाकर 1.60 करोड़ रुपये कर दिया है। बस गौ माता को राजमाता का दर्जा देना बाकी है।

गौ माता को राजमाता का दर्जा दिलाने के प्रयास में कई संस्थाएं गत कई दशक से लगी हैं। गौसेवक लालू भाई पिछले कई दशक से इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। वह दो साल से प्रतिदिन वृंदावन, बरसाने, राधा कुंड - श्याम कुंड आदि का परिक्रमा कर व राधा रानी की दर्शन कर गौमाता को राजमाता का दर्जा दिलाने की प्रार्थना करते हैं। गौमाता को राजमाता का दर्जा मिले, इसके लिए वह पिछले कुछ दशक में प्रदेश के एक सौ से अधिक राज नेताओं को पत्र भी लिख चुके है। ब्रज मंडल के साधु संतों से भी मिलकर वह इसके लिए लगातार प्रार्थना करते रहते हैं। लालू भाई को उम्मीद है कि योगी जी अपने कार्यकाल में ही गौमाता को राजमाता के दर्जा दिला देंगे।

उत्तर प्रदेश में गौ सेवा आयोग के साथ गौ संरक्षण समितियां भी सक्रिय है। यूपी विधानसभा में 'गाय को राष्ट्रीय माता' घोषित करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा जा चुका है, पर अभी तक राज्य स्तर पर 'राजमाता' दर्जा नहीं दिया गया।आधिकारिक रूप से गाय को राजमाता का दर्जा सिर्फ महाराष्ट्र ने ही दिया है। 30 सितंबर 2024 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने देसी गायों को 'राज्यमाता-गौ माता' का दर्जा प्रदान किया। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2021 में 'गोधन न्याय योजना' शुरू की, जिसमें किसानों से गोबर खरीदा जाता है, लेकिन वहां गाय को राजमाता का औपचारिक दर्जा नहीं मिला। उत्तराखंड में गायों की रक्षा के लिए गौ सेवा आयोग और गौशाला नीति बनाई गई है। उत्तराखंड सरकार गाय को 'राजमाता' का दर्जा देने पर विचार कर रही है, पर अभी घोषणा नहीं हुई है। मध्य प्रदेश सरकार ने गौ संवर्धन बोर्ड को सक्रिय किया व 2021 में गौ कैबिनेट की स्थापना भी की। वहां गौसेवा आयोग भी है, पर गाय को राजमाता का दर्जा आधिकारिक रूप से नहीं दिया गया है।

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