भारतीय संस्कृति का महापर्व : गोपाष्टमी

Oct 31, 2025 - 07:47
 0  16
भारतीय संस्कृति का महापर्व : गोपाष्टमी

भारतीय संस्कृति का महापर्व : गोपाष्टमी

गोपाष्टमी का पर्व हमें करुणा, सेवा और संवेदना का संदेश देता है- डॉ. पंकज कुमार जिला सूचना अधिकारी 

हिन्द भास्कर

भदोही। गोपाष्टमी का पावन त्योहार भक्ति, सेवा और भारतीय संस्कृति का प्रतीक बन गया है। भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता को समर्पित इस पर्व पर बुधवार को जिलेभर की गौशालाओं में सेवा एवं श्रद्धा का माहौल देखने को मिला। गोपाष्टमी पर्व पर जनपद के गौशाला व गायों की पूजा कर गौ रक्षा का संकल्प लिया गया। इसी क्रम में जिला सूचना अधिकारी डॉ पंकज कुमार ने ज्ञानपुर स्थित चक्र धारी गौशाला पहुंचकर गायों की टीका चंदन लगाकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा- अर्चना, सेवा किया। 

गोपाष्टमी का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से दो कारणों से मनाया जाता है। पहला, जब भगवान कृष्ण पहली बार गाय चराने के लिए निकले थे, और दूसरा, गोवर्धन पूजा के सात दिनों के बाद, जब इंद्रदेव ने अपनी हार स्वीकार कर भगवान कृष्ण का अभिषेक किया था। इस दिन गायों, बछड़ों और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। 

*भगवान कृष्ण का गौ-चरण आरंभ करना*

मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने पहली बार गायों को चराने के लिए ले जाना शुरू किया था, जिसके कारण इस तिथि को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। 

*इंद्रदेव का अहंकार भंग होना* एक अन्य कथा के अनुसार, गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाने के बाद, सात दिनों तक वर्षा के बाद अष्टमी तिथि को इंद्रदेव ने हार मान ली थी और भगवान कृष्ण की शरण में आकर क्षमा याचना की थी। इसी दिन कामधेनु गाय ने भगवान कृष्ण का अभिषेक किया था, और तभी से यह पर्व मनाया जाने लगा। 

*गाय और कृष्ण की पूजा* इस दिन भक्त गायों और बछड़ों की पूजा करते हैं, उन्हें सजाते हैं और उनकी सेवा करते हैं। इसके अलावा, भगवान कृष्ण की पूजा भी की जाती है, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है। 

इसी क्रम में डॉ. पंकज कुमार ने अपने हाथों से गौ माता को स्नान कराया, हरा चारा, गुड़ व केला खिलाया और आरती उतारकर जनमानस से गौसेवा की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि गोपाष्टमी पर गायों की पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। उन्होंने बताया कि गोपाष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवंश की सेवा के आरंभ का प्रतीक है। यह दिन हमें करुणा, सेवा और संवेदना का संदेश देता है। जिला सूचना अधिकारी डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि “गौ माता भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं, उनका संरक्षण और सम्मान करना हर व्यक्ति का धर्म है।” यह पर्व हमें आत्मिक शांति और सामाजिक एकता का संदेश देता है।” उन्होंने गौशाला में सफाई व्यवस्था,पशुओं के भोजन-पानी और चिकित्सा सुविधा की भी समीक्षा की। उन्होंने संबंधित कर्मचारियों को निर्देश दिया कि गौशाला में स्वच्छता, रोशनी और सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था बनी रहे।

वहीं चक्रधारी गौशाला चक टोडर ज्ञानपुर के संचालक मिंटू तिवारी ने बताया कि वे गायों की वर्ष भर सेवा करते है जिससे उनका जीविपार्जन के साथ ही आत्मिक संतुष्टि मिलती है। उन्होंने जन मानस से गो-वध रोकने हेतु गोपूजन में अपना अमूल्य योगदान तथा स्वस्थ्य सनातन संस्कृति के उत्थान हेतु संकल्प लेते हुये गोपूजन कर अमृत लाभ लेने की अपील किया। इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों ने भी गौ पूजन व सेवा किया। उपस्थित लोगों ने भी गौ सेवा का संकल्प लिया। गौशाला परिसर में दिनभर भजन-कीर्तन, आरती और ‘जय गौ माता’ के जयघोष गूंजते रहे, जिससे वातावरण पूरी तरह भक्तिमय बन गया।

*भारतीय संस्कृति का महापर्व गोपाष्टमी*

गोपाष्टमी के दिन देशी गायों को स्नान कराएं। तिलक करके पूजन करें व गोग्रास दें। गायों को अनुकूल हो, ऐसे खाद्य पदार्थ खिलाएं, सात परिक्रमा व प्रार्थना करें तथा गाय की चरण रज सिर पर लगाएं। इससे मनोकामनाएँ पूर्ण होती है एवं सौभाग्य की वृद्धि होती है। गोपाष्टमी को गौहत्या बंद करने के लिए संकल्प ले कि देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर उपयोग करेंगे।

कार्यक्रम में पुजारी राकेश तिवारी, पुजारी पांडेय, रमाशंकर मिश्रा, अंजनी शुक्ला, अमरेश दुबे, प्रियंका त्रिपाठी, आराध्या तिवारी, हर्ष पांडेय, कैलाश तिवारी, नितेश श्रीवास्तव, बड़ी संख्या में महिलाएं व बच्चों ने भी गौ पूजा कर गौ सेवा करते हुए संकल्प लिया।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow