नर्स ने डॉक्टर पर लगाया अश्लीलता का आरोप, जांच के आदेश को सी.एम.ओ कार्यालय में दबा के रखा गया

नर्स ने डॉक्टर पर लगाया अश्लीलता का आरोप, जांच के आदेश को सी.एम.ओ कार्यालय में दबा के रखा गया

Sep 29, 2025 - 00:07
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नर्स ने डॉक्टर पर लगाया अश्लीलता का आरोप, जांच के आदेश को सी.एम.ओ कार्यालय में दबा के रखा गया

मथुरा(हिन्द भास्कर):- महिला सशक्तिकरण को ले कर जहां योगी सरकार लगातार महिलाओं को शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक समानता और राजनीतिक भागीदारी के माध्यम से शक्ति, आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करना है। वही महिलाओं पर उत्पीड़न कम होने का नाम ही नहीं ले रही।

ताजा मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरसाना का है जहां बरसाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात संविदा नर्स ने केंद्र प्रभारी डॉ0 मनोज वशिष्ठ पर अश्लीलता, मानसिक उत्पीड़न और धमकियों के गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला अब तूल पकड़ चुका है और जिले के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंच चुका है।

वहीं, सोमवार को उपजिलाधिकारी गोवर्धन की अगुवाई में होने वाली सुनवाई में इस पूरे प्रकरण में "दूध का दूध और पानी का पानी" होने की उम्मीद की जा रही है। आप को बता दे कि आगरा से स्थानांतरित होकर बरसाना सीएचसी में तैनात महिला नर्स का आरोप है कि केंद्र प्रभारी डॉ0 वशिष्ठ ने उन्हें व्हाट्सएप पर अश्लील संदेश भेजे और व्यक्तिगत संबंध बनाने का दबाव बनाया।

जब नर्स ने विरोध किया, तो उसे नौकरी से निकालने की धमकियां दी गईं और उस के कार्य में जानबूझकर गलतियां निकाली जाने लगीं और उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। पीड़िता द्वारा इस मामले की शिकायत पहले बरसाना थाने में की गई, परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद 09 सितंबर 2025 को सीएमओ, जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मथुरा को लिखित शिकायत सौंपी गई।

वहीं सी.एम.ओ द्वारा चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया, जिसने 22 सितंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपी। लेकिन हैरानी करने वाली बात है कि इस रिपोर्ट का अब तक कोई खुलासा नहीं किया गया। समिति के अध्यक्ष डॉ0 जाडिया और सदस्य डॉ0 आलोक कुमार, डॉ0 कर्णिका,डॉ0 लक्ष्मी ने केवल इतना कहा कि रिपोर्ट सी.एम.ओ को सौंप दी गई है और बाकी जानकारी वही दे सकते हैं।

हालांकि, कई बार संपर्क करने के बावजूद सी.एम.ओ द्वारा फोन नहीं उठाया गया। वहीं पीड़िता ने जिलाधिकारी को भी ज्ञापन सौंपा, जिस पर मुख्य विकास अधिकारी ने 16 सितंबर को जांच के आदेश दिए। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि यह आदेश सी.एम.ओ कार्यालय में छह दिन तक दबा के रखा गया। वहीं अब एसडीएम गोवर्धन की अध्यक्षता में नई जांच समिति का गठन किया गया है, जिसमें थाना प्रभारी विनोद बाबू मिश्रा और सी.एम.ओ डॉ0 राधा बल्लभ भी सदस्य हैं।

पीड़िता शुक्रवार 26 सितंबर को एसडीएम कार्यालय पहुंची, जहां उस ने अपना बयान दर्ज कराया और धमकी भरे ऑडियो-वीडियो साक्ष्य भी प्रस्तुत किए। वहीं सी.एम.ओ डॉ0 राधा बल्लभ ने बताया कि यदि जांच में आरोप सही पाए गए तो संबंधित चिकित्सक पर कार्यवाही निश्चित रूप से की जाएगी। यह मामला न सिर्फ चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत महिला कर्मचारियों की सुरक्षा और गरिमा का विषय है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की भी अग्निपरीक्षा है। वहीं अब ये देखना है कि सोमवार को एसडीएम गोवर्धन इस संवेदनशील प्रकरण में कितना न्यायसंगत और पारदर्शी निर्णय लेती हैं।

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