प्रदेश में पर्यटन विकास को लेकर केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मिले जयवीर सिंह
प्रदेश में पर्यटन विकास को लेकर केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मिले जयवीर सिंह

लखनऊ(हिन्द भास्कर):- उत्तर प्रदेश में पर्यटन के विकास एवं देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के बीच बैठक हुई। बैठक में विभिन्न परियोजनाओं एवं प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में बौद्ध सर्किट के अंतर्गत आने वाले कपिलवस्तु पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
साथ ही कालिंजर एवं तालबेहट किलों के आसपास पर्यटन विकास, अल्पज्ञात स्थलों के संवर्धन, वे-साइब एमेनिटीज की व्यवस्था और पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार की प्रासाद योजना के अंतर्गत मथुरा के गोवर्धन में समेकित पर्यटन विकास परियोजना पर भी चर्चा की गई। बैठक में 12 प्रमुख बिंदुओं पर विमर्श हुआ। बैठक में प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति उ0प्र0 मुकेश कुमार मेश्राम भी उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि पर्यटन विकास की दृष्टि से सबसे बड़ी समस्या यह है कि ककरहवा बार्डर पर भारत सरकार का कोई इमीग्रेशन कार्यालय नहीं है।
इस कारण विदेशी पर्यटकों को कपिलवस्तु पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि यहां इमीग्रेशन कार्यालय की स्थापना नितांत आवश्यक है। इस संबंध में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह विदेश मंत्रालय के माध्यम से आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करे, जिससे कपिलवस्तु का बौद्ध सर्किट में और अधिक सुचारु विकास हो सके। पर्यटन मंत्री ने बताया कि वर्ष 1898 में उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद स्थित पिपरहवा से प्राप्त बौद्ध अस्थियां एवं अवशेष, जो हाल ही में हांगकांग में होने वाली नीलामी से रद्द कराए गए थे, वर्ष 2025 में भारत सरकार द्वारा देश वापस लाए गए हैं।
इन बौद्ध अवशेषों को पिपरहवा की उसी भूमि पर, जहां से ये प्राप्त हुए थे, एक भव्य स्तूपनुमा भवन बनाकर ग्लास कॉस्केट में संरक्षित व सुसज्जित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल देश-विदेश से लुम्बिनी आने वाले पर्यटकों को कपिलवस्तु की ओर आकर्षित करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि कपिलवस्तु में अवस्थित होने के भारत सरकार के दावे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक बल मिल सके। पर्यटकों, श्रद्धालुओं एवं आम जनमानस की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कालिंजर किला (बांदा) स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में प्रवेश टिकट से मुक्त किए जाने अथवा श्रवण मास एवं अन्य प्रमुख धार्मिक पर्वों के दौरान निःशुल्क प्रवेश की व्यवस्था किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
इस संबंध में प्रमुख सचिव, पर्यटन की ओर से महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), नई दिल्ली को एक अर्द्धशासकीय पत्र भेजा गया है। बैठक में कालिंजर एवं तालबेहट किलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए राज्य सरकार को स्थानान्तरित किए जाने की आवश्यकता जताई गई। उप्र0 में अनेक ऐसे प्राचीन टीले हैं, जिनकी खुदाई नहीं की गई है। एक्सप्रेस-वे या अन्य सड़कों के निर्माण के दौरान ये टीले नष्ट हो जाते हैं क्योंकि इनके महत्व के बारे में लोगों जानकारी नहीं होती है। अतः ऐसे स्थलों को चिन्हत कर विश्वविद्यालयों/पुरातात्विक संस्थाओं द्वारा वृहद पैमाने पर उत्खनन करने की आवश्यकता है।
पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश एवं बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग-25 पर कुशीनगर-गया रोड एवं गया-कुशीनगर रोड पर वे-साइड एमेनिटीज का निर्माण चयनित एजेंसी हिन्दुस्तान प्रीफेब लिमिटेड के माध्यम से कराया गया है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इन सुविधाओं का यथास्थिति हैंडओवर प्राप्त कर लिया है। विभाग ने इनके रख-रखाव एवं संचालन हेतु बीपीसीएल, आईडीसीएल, एचपीसीएल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के माध्यम से पेट्रोल पम्प, चार्जिंग स्टेशन आदि स्थापित कर संचालन कराए जाने का निर्णय लिया है।
पर्यटन मंत्रालय और सड़क परिवहन मंत्रालय के बीच संपादित एमओयू के अनुसार, अध्यक्ष एनएफआई से 12 मई 2025 को इस विषय पर अनुरोध किया गया था, जिस पर कार्यवाही प्रतीक्षित है। पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ’प्रासाद’ योजना के अंतर्गत स्वीकृत गौवर्धन (मथुरा) के समेकित पर्यटन विकास परियोजना दो फेज में पूर्ण हो चुकी है। केंद्र और राज्य सरकार की टीम ने निरीक्षण किया। जिसके बाद योजनान्तर्गत विकसित परिसंपत्तियों के रख-रखाव एवं संचालन की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम एवं ब्रजतीर्थ विकास परिषद को हस्तांतरित कर दी गई है।
पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रासाद योजना के अंतर्गत वाराणसी के समेकित पर्यटन विकास के सभी कार्य पूर्ण हो चुके हैं। मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना के अंतर्गत फतेहपुर सीकरी (आगरा) में स्वीकृत परियोजना के तहत प्रस्तावित साउंड एंड लाइट शो के संचालन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने दिनांक 15 जुलाई 2025 को पत्र (अनुलग्नक-5) प्रेषित किया था। इसके पश्चात पर्यटन निदेशक, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा दिनांक 11 अगस्त 2025 को पत्र (अनुलग्नक-6) महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), नई दिल्ली को भेजा गया।
इन पत्रों के माध्यम से शो की स्क्रिप्ट पर अनुमोदन प्रदान किए जाने का अनुरोध किया गया है। यह पहल फतेहपुर सीकरी को पर्यटकों के लिए और अधिक आकर्षक बनाने तथा प्रदेश में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। बैठक में भारत सरकार के आईकॉनिक डेस्टिनेशन के अन्तर्गत वर्ष 2025-26 में उ०प्र० के क्षेत्रफल एवं सांस्कतिक/आध्यात्मिक महत्व के दृष्टिगत गत वर्ष से इतर दो से अधिक प्रोजेक्ट प्रदान किए जाएं। भारत सरकार की टैगोर कल्चरल कॉम्प्लेक्स योजना के अन्तर्गत जनपद गौतमबुद्ध नगर में सांस्कृतिक संकुल केन्द्र के निर्माण हेतु 4975 लाख रुपए की परियोजना स्वीकृत की गई है।
इसी योजना के तहत लखनऊ के चारबाग स्थित रवीन्द्रालय प्रेक्षागृह के लिए भी भारत सरकार द्वारा 2483 लाख रुपए की धनराशि प्रेषित की गई है। भारत सरकार की म्यूजियम ग्रांट स्कीम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश से कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव भेजे गए हैं। राज्य संग्रहालय, लखनऊ में इंटरैक्टिव एक्सपीरियंस जोन के लिए 481.10 लाख रुपए की धनराशि का प्रस्ताव, राजकीय संग्रहालय, मथुरा में इंटरैक्टिव एक्सपीरियंस जोन हेतु 543.23 लाख रुपए की धनराशि का प्रस्ताव, राजकीय जैन संग्रहालय, मथुरा के भवन एवं दीपिकाओं के आधुनिकीकरण एवं विकास के लिए 629.34 लाख रुपए का प्रस्ताव।, राजकीय बौद्ध संग्रहालय, कुशीनगर के उन्नयन कार्य हेतु 550.00 लाख रुपए का प्रस्ताव भारत सरकार को अनुमोदन के लिए प्रेषित किए गए हैं। इस उच्चस्तरीय बैठक में प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम एवं भारत सरकार के अधिकारी मौजूद थे।
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